शेखाजी की जन्मस्थली में पहाड़ पर भव्य मंदिर - Kalka Mata Mandir Amarsar in Hindi, इसमें अमरसर की पहाड़ियों में स्थित कालका माता के मंदिर की जानकारी है।
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अमरसर कस्बा शेखावाटी के संस्थापक राव शेखाजी की जन्मस्थली होने के अतिरिक्त कालका माता की भूमि होने की वजह से सम्पूर्ण भारतवर्ष में जाना जाता है।
यह मंदिर काफी प्राचीन है और इसे महाभारत कालीन बताया जाता है। यह कस्बा जयपुर जिले की शाहपुरा तहसील में चौमूँ-नीमकाथाना रोड पर सामोद और अजीतगढ़ के लगभग मध्य में स्थित है।
कस्बे से लगभग पाँच किलोमीटर की दूरी पर अरावली की पहाड़ियों के बीच एक पहाड़ी पर कालका माता का मंदिर स्थित है। बारिश के दिनों में यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता मन को मोह लेती है।
जयपुर रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 75 किलोमीटर है। यहाँ पर अमरसर से एवं शाहपुरा से अजीतगढ़ मार्ग पर स्थित त्रिवेणी मोड़ से देवीपुरा होकर पहुँचा जा सकता है।
अमरसर और त्रिवेणी मोड़ दोनों से कालका माता मंदिर की दूरी लगभग पाँच किलोमीटर है। मंदिर जिस पहाड़ी पर स्थित है उसकी समुद्रतल से ऊँचाई लगभग 500 फीट बताई जाती है।
इस पहाड़ी की तलहटी में काफी जगह है जहाँ पर नवरात्रि के समय मेला भरता है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु इकट्ठे होते हैं। मेले के समय इस मेला ग्राउंड में भंडारों का भी आयोजन किया जाता है।
मंदिर तक पहुँचने के लिए पदयात्रियों के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई हैं एवं वाहनों के लिए पक्की सीमेंट की सड़क बनी हुई है। यह सड़क सर्पिलाकार रूप में है।
मंदिर के मुख्य द्वार से सीढ़ियाँ शुरू होती हैं। मंदिर तक जाने के लिए कुल 451 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। सीढ़ियों को टीनशेड से कवर किया हुआ है जिससे गर्मी में धूप और बारिश में बरसात की वजह से यात्रा में कोई व्यवधान नहीं पहुँचे।
मंदिर के प्रवेश द्वार को पार करते ही हनुमानजी की मूर्ति है। मंदिर प्रांगण में योगिनी माता एवं काल भैरव की मूर्ति स्थापित है। पास ही भंडारे के सामान के लिए कक्ष बना हुआ है।
यहाँ से कुछ सीढ़ियाँ चढ़ने के पश्चात मुख्य मंदिर प्रांगण शुरू होता है। यहाँ कई स्तंभों पर टिका हुआ भव्य गुम्बद बना हुआ है। इस गुम्बद की छत पर कई देवी देवताओं की सुन्दर छवि उकेरी हुई है।
यहाँ से सामने कालका माता के दर्शन होते हैं। माता की मूर्ति से कुछ दूरी पर अखंड ज्योति जलती रहती है। बगल में पहाड़ के अंश दिखाई पड़ते हैं। पिंड रूप में स्थित माता की यह मूर्ति स्वयंभू बताई जाती है।
कहते हैं कि राजा महाराजाओं के जमाने में काली माता की मूर्ति बोला करती थी। अमरसर और आस पास के इलाकों में इसे कुल देवी के रूप में पूजा जाता है। श्रद्धालु बड़ी संख्या में जात एवं जडूलों (मुंडन संस्कार) के लिए यहाँ आते हैं।
एक दंतकथा के अनुसार बहुत समय पहले यहाँ एक लकड़हारा रहता था। वह माता का भक्त था एवं चूहों को माता का रूप मानकर उनकी पूजा करता था। एक बार उसकी विनती पर माता ने उसे साक्षात दर्शन दिए।
लकड़हारे के निवेदन पर माता पिंडी रूप धारण करके यहीं रुक गई। बाद में लकड़हारे ने इस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण करवाया।
मन्दिर में केवल सात्विक सामग्री को ही प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। मंदिर में मांस, मदिरा एवं पशु-पक्षी बलि की सख्त मनाही है।
श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए मुख्य दरवाजे के आगे एक धर्मशाला बनी हुई है। मंदिर की सेवा पूजा एवं अन्य व्यवस्थाओं को महाकाली शक्ति पीठाधीश्वर महंत प्रेम गिरी महाराज देखते हैं।
अगर आप धार्मिक स्थल के साथ-साथ पर्यटन का मजा भी लेना चाहते हैं तो आपको एक बार इस धार्मिक एवं ऐतिहासिक जगह पर जरूर जाना चाहिए।
कालका माता मंदिर की मैप लोकेशन - Map Location of Kalka Mata Mandir
कालका माता मंदिर का वीडियो - Video of Kalka Mata Mandir
कालका माता मंदिर की फोटो - Photos of Kalka Mata Mandir
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।