अजंता एलोरा जैसा कलात्मक मंदिर - Malpur Mahadev Mandir in Hindi

अजंता एलोरा जैसा कलात्मक मंदिर - Malpur Mahadev Mandir in Hindi, इस लेख में उदयपुर के पास मालपुर गाँव के महादेव मंदिर और पुराने किले की जानकारी है।

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रियासत काल में मालपुर उदयपुर के अधीन एक ठिकाना था। कभी यह ठिकाना 12 गाँवों पर काबिज था। यहाँ पर लूणावत राजपूतों का शासन था।

लूणावत राजपूत, महाराणा लाखा के नौ पुत्रों में से एक कुँवर लूणा के वंशज हैं। मालपुर के अलावा इनके ठिकाने कथारा और खेड़ा आदि जगह पर भी थे।

मालपुर महादेव मंदिर का इतिहास और विशेषता - History and specialty of Malpur Mahadev Temple


पिछली छः शताब्दियों से भी अधिक समय से मालपुर में आज भी महादेव का मंदिर ज्यों का त्यों खड़ा है। इस मंदिर के चारों तरफ कई कलात्मक मूर्तियाँ लगी हुई है जिनमें कुछ काम कला से प्रेरित है।

ये मंदिर बिना चूने के इस्तेमाल के बना हुआ है यानि इसको बनाने में सिर्फ पत्थरों का उपयोग किया गया है। पत्थरों को तराशकर जमाया गया है, शायद इसी वजह से ही यह पिछले 600 से ज्यादा वर्षों से अडिग खड़ा है।

मंदिर के पास ही यहाँ का पुराना गढ़ स्थित है जो अब लगभग पूरी तरह से समाप्त हो गया है। किसी जमाने में इस गढ़ में काफी चहल पहल रहा करती थी लेकिन अब टूटे हुए पत्थरों के अलावा कुछ भी नहीं है।

भोलेनाथ के मंदिर और इस गढ़ के बारे में पूरी जानकारी विक्रम सिंह लूणावत ने दी है। किसी जमाने में मालपुर पर इनके पूर्वजों का ही शासन था। इन्होंने हमें गढ़ के भ्रमण के साथ-साथ इसके कुछ अनसुने पहलुओं के बारे में भी बताया।


इनके अनुसार इस मंदिर और गढ़ का निर्माण ठकुरानी सा देवड़ी जी ने करवाया था। उनके बाद में इसकी देख रेख उनके वंशजों ने की, जो आज तक चलती आ रही है।

गढ़ के परिसर में बायण माता जी का मंदिर भी मौजूद है। बायण माताजी इनकी कुल देवी है जिनकी पूजा अर्चना यहाँ के शासक किया करते थे और इसी परंपरा को इनके वंशज आज भी निभा रहे हैं।

मालपुर महादेव मंदिर आरती का समय - Malpur Mahadev Temple Aarti Timings


यह मंदिर चौबीसों घंटे खुला रहता है और आप यहाँ आकर कभी भी भोलेनाथ के दर्शन कर सकते हो।

मालपुर महादेव मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय - Best time to visit Malpur Mahadev Temple

बारिश के मौसम में यहाँ पर चारों तरफ हरियाली हो जाती है। झील और तालाब लबालब हो जाते हैं। आस पास सभी जगह सीताफल के पेड़ दिखाई देने लग जाते हैं।

अगर आप बारिश के मौसम के तुरंत बाद यानि अगस्त से अक्टूबर तक जाओ तो आपको प्रकृति के रूप में भगवान के दर्शन होंगे बाकि आप फरवरी मार्च तक कभी भी जा सकते हो।

मालपुर महादेव मंदिर के पास घूमने की जगह - Places to visit near Malpur Mahadev Temple


मालपुर महादेव के मंदिर के पास मानसी वाकल झील, मानसी वाकल बाँध, चंदवास का चंद्रेश्वर महादेव मंदिर, बदराणा का हरिहर जी का मंदिर और यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता देखने योग्य है।

मालपुर महादेव मंदिर कैसे जाएँ? - How to reach Malpur Mahadev Temple?


मालपुर महादेव उदयपुर में मानसी वाकल झील के पास चन्दवास गाँव से थोड़ा आगे मालपुर गाँव में स्थित है। उदयपुर के रोडवेज बस स्टैंड से मालपुर महादेव मंदिर की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है।

मालपुर महादेव मंदिर जाने के लिए आप दो रास्तों से जा सकते हैं। अगर आप नए हैं तो आपको अलसीगढ़ से झाड़ोल होते हुए मालपुर महादेव के मंदिर जाना है। उदयपुर से झाड़ोल तक हाईवे है. झाड़ोल के बाद में सिंगल रोड है।

अगर आप उदयपुर के आस पास की जगह को थोड़ा जानते हैं तो आप उबेश्वरजी, सुराणा, ब्राह्मणों का खेरवाड़ा होते हुए जा सकते हो। यह रास्ता थोड़ा जंगली है और रोड भी सिंगल ही है।

हमारा सुझाव है कि आप झाड़ोल होते हुए ही जाएँ लेकिन अगर आपको जंगल और पहाड़ों के साथ प्राकृतिक सुंदरता देखनी है तो फिर आप किसी स्थानीय व्यक्ति के साथ उबेश्वरजी होते हुए भी जा सकते हैं।

मालपुर महादेव मंदिर एक छुपी हुई भव्य विरासत है जिसका प्रचार और प्रसार होना चाहिए ताकि सभी लोग अपने सांस्कृतिक और कलात्मक इतिहास से परिचित हो सकें।

अगर आप कभी झाड़ोल की तरफ जाओ तो आपको महादेव के इस ऐतिहासिक मंदिर को अवश्य देखना चाहिए।

मालपुर महादेव मंदिर मैप लोकेशन - Malpur Mahadev Temple Map Location



मालपुर महादेव मंदिर का वीडियो - Video of Malpur Mahadev Temple



मालपुर महादेव मंदिर की फोटो - Photos of Malpur Mahadev Temple


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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