भारत का सबसे अनोखा मंदिर - Harihar Mandir Badrana Jhadol in Hindi

भारत का सबसे अनोखा मंदिर - Harihar Mandir Badrana Jhadol in Hindi, इसमें एक ही प्रतिमा में शिव, विष्णु और कृष्ण के दर्शन वाले मंदिर की जानकारी दी है।

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आज हम आपको दुनिया के ऐसे इकलौते मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ पर एक ही मूर्ति में भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव और कृष्ण के दर्शन होते हैं।

भारत में शायद एक दो मंदिर ही ऐसे होंगे जहाँ पर एक ही प्रतिमा में शिव और विष्णु के दर्शन होते हैं। इस वजह से यह मूर्ति काफी विशेष है क्योंकि इसमें एक साथ दो के बजाय तीन देवों का निवास है।

इस मूर्ति को हरिहर के नाम से जाना जाता है क्योंकि इसमें हरी यानी विष्णु और हर यानी शंकर दोनों एक साथ है। इसमें विष्णु के ही एक रूप श्रीकृष्ण भी शामिल हैं।

यह मंदिर मानसी नदी के किनारे पर बना हुआ है। यहाँ से देखने पर चारों तरफ प्राकृतिक सुंदरता नजर आती है। शाम के समय नदी और ढलता सूरज बड़े आकर्षक लगते हैं।

तो आइए चलते हैं उस जगह पर जहाँ ये अनोखा मंदिर है और जानते हैं इस मंदिर और इसमें विराजित उस विशेष मूर्ति के बारे में। तो आइये शुरू करते हैं।

हरिहर मंदिर बदराणा का भ्रमण और विशेषता - Tour and features of Harihar Temple Badrana


हरिहर जी की मूर्ति काले रंग के एक ही पाषाण में बनी हुई है जिसमें एक मूर्ति के अंदर तीन मूर्तियाँ हैं। इन मूर्तियों के बीच में बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति भगवान विष्णु की है जिसके चार भुजाएँ हैं।

प्रतिमा के नीचे लेफ्ट साइड में छोटी कृष्ण की मूर्ति है जिनके शीश पर मोर मुकुट है। ऊपर की तरफ हाथ में चक्र है और नीचे की तरफ शंख है।


प्रतिमा के नीचे राइट साइड में भगवान शिव की मूर्ति है जिन्होंने नाग धारण कर रखा है। शिवजी की जटा में चंद्रमा और गंगा की धारा है। इनके हाथ में त्रिशूल है।

मंदिर के बाहर गरुड की दो प्रतिमाएँ हैं जिनमें से एक प्रतिमा उसी समय की है जिस समय की मूर्ति है। गरुड की दूसरी प्रतिमा मंदिर के जीर्णोद्धार के समय मेवाड़ के महाराणा राज सिंह ने स्थापित करवाई थी।

महाराणा राज सिंह द्वारा स्थापित गरुड़ की प्रतिमा पर नीचे की तरफ महाराणा का नाम और संवत की जानकारी उकेरी हुई है।

हरिहर मंदिर बदराणा का इतिहास - History of Harihar Temple Badrana


गरुड़ प्रतिमा के शिलालेख के अनुसार यह मूर्ति विक्रम संवत 1111 में मानसी और रोवली नदी (छोटा नाला) के संगम स्थल पर मिली थी। यह जगह वर्तमान हरिहर मंदिर से लगभग डेढ़ दो किलोमीटर दूर है।

बाद में इस मूर्ति को वर्तमान स्थान पर एक चबूतरे पर स्थापित किया गया। सैंकड़ों वर्षों तक इस मूर्ति की पूजा भैरव के रूप में चबूतरे पर होती रही।

दरअसल काले पत्थर की इस मूर्ति के हाथ में त्रिशूल होने के कारण और नीचे की दोनों मूर्तियों को गण समझे जाने के कारण 500 वर्षों से भी ज्यादा समय तक इस मूर्ति की पूजा भैरव के रूप में होती रही।

जब महाराणा प्रताप कमलनाथ महादेव की तरफ जा रहे थे तो इस मूर्ति के हाथ में शंख और चक्र देखकर इस जगह पर विष्णु मंदिर बनवाया। उस समय के बाद से इस मूर्ति की पूजा विष्णु के रूप में होना शुरू हुई।

महाराणा प्रताप ने अपने हल्दीघाटी के योद्धा झाला बींदा (झाला मान) के बलिदान की याद में इस स्थान का नाम बींदाराणा रखा। समय के साथ यह नाम बदलकर बदराणा हो गया।

आपको बता दें कि बड़ी सादड़ी के झाला मान सिंह का एक नाम बींदा राणा भी था। इन्हें मन्नाजी भी कहा जाता था।

हरिहर मंदिर बदराणा के दर्शन और त्योहार - Harihar Temple Badrana Darshan and Festivals


मंदिर में पूजा अर्चना का कार्य पिछली आठ पीढ़ियों से सांचीहर परिवार करता आ रहा है। मंदिर में वैष्णव संप्रदाय की पद्धति के अनुसार सेवा पूजा की जाती है।

मंदिर की देखरेख बदराणा के पूर्व राजपरिवार के सदस्य व हरिहर मंदिर समिति के पदाधिकारी करते हैं।

हरिहर जी के श्रंगार पर्दे में ना होकर खुले में होते हैं। सुबह आठ बजे के आसपास मूर्ति को स्नान करवाकर शृंगार किया जाता है।

मूर्ति में शंकर भगवान का स्वरूप साथ होने की वजह से मूर्ति को प्रतिदिन स्नान करवाया जाता है। श्रद्धालु मंदिर में सुबह मंगला से शयन तक कभी भी दर्शन कर सकते हैं।

मंदिर के प्रमुख उत्सवों में होली के बाद डोल का मेला और दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट का मेला शामिल हैं। इसके साथ जन्माष्टमी और निर्जला एकादशी पर भी उत्सव मनाया जाता है।

मंदिर में आषाढ़ी पूर्णिमा के तोल की परंपरा भी सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। आषाढ़ी तोल की परंपरा से बारिश कैसी होगी, इस बात का संकेत मिल जाता है।

हरिहर मंदिर बदराणा के पास घूमने की जगह - Places to visit near Harihar Temple Badrana


इस मंदिर के आस पास कमलनाथ महादेव, चंद्रेश्वर महादेव, मानसी वाकल बाँध, मालपुर का महादेव मंदिर आदि देख सकते हैं। ये सभी जगह यहाँ से 25-30 किलोमीटर की रेंज में है।

हरिहर मंदिर बदराणा कैसे जाएँ? - How to reach Harihar Temple Badrana?


अब हम यह जान लेते हैं कि बदराणा के हरिहर मंदिर तक कैसे पहुँचे।

बदराणा गाँव की झाड़ोल से दूरी लगभग 5 किलोमीटर और उदयपुर रेलवे स्टेशन से दूरी लगभग 55 किलोमीटर है। झाड़ोल से आगे गोगला के पास राइट साइड में एक बड़ा दरवाजा बना हुआ है।

उदयपुर से इस दरवाजे तक हाईवे बना हुआ है। दरवाजे से अंदर जाने पर डेढ़ दो किलोमीटर आगे बदराणा गाँव आता है।

अगर आप घूमने के शौक़ीन हैं, अगर आप नई-नई जगह जाना पसंद करते हैं तो आपको यहाँ पर जरूर जाना चाहिए।

तो आज बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। ऐसी ही नई-नई जानकारियों के लिए हमसे जुड़े रहें।

जल्दी ही फिर मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ। तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

हरिहर मंदिर बदराणा की मैप लोकेशन - Map location of Harihar Temple Badrana



हरिहर मंदिर बदराणा का वीडियो - Video of Harihar Mandir Badrana



हरिहर मंदिर बदराणा की फोटो- Photos of Harihar Mandir Badrana


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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