बिहारी जी ने इस जगह लिखा बिहारी सतसई - Bihariji Mandir Amer Jaipur in Hindi

बिहारी जी ने इस जगह लिखा बिहारी सतसई - Bihariji Mandir Amer Jaipur in Hindi, इसमें आमेर में पन्ना मीणा के कुंड के सामने बिहारी जी मंदिर की जानकारी है।

Bihariji Mandir Amer Jaipur in Hindi

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आज हम आपको एक ऐसी जगह की यात्रा करवाने वाले हैं जहाँ बैठकर मिर्जा राजा जयसिंह के दरबारी कवि बिहारीजी अपने प्रसिद्ध काव्य बिहारी सतसई की रचना किया करते थे।

यह जगह पर्यटकों के साथ-साथ फिल्मों की शूटिंग के लिए भी काफी प्रसिद्ध है जहाँ पर कई नई और पुरानी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।

इस जगह का निर्माण एक ऐसी रानी ने करवाया था जिन्होंने राजसी सुख को त्यागकर वैराग्य अपनाया। खास बात यह है कि इनके पति ने बाबर के खिलाफ लड़े गए खानवा के युद्ध में महाराणा सांगा की तरफ से भाग लिया था।

तो आज हम लगभग 500 साल पुरानी इस धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर को करीब से देखकर इसके इतिहास को समझते हैं, आइए शुरू करते हैं।

बिहारीजी मंदिर की यात्रा और विशेषता - Visit and specialty of Bihariji Temple


यह ऐतिहासिक जगह एक मंदिर है जिसे लक्ष्मीनारायण मंदिर कहा जाता है लेकिन आस पास के सब लोग इसे बिहारीजी के मंदिर के नाम से जानते हैं। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर उत्तर मध्यकालीन स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है।

मंदिर का बिहारीजी के नाम से प्रसिद्ध होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि मिर्जा राजा जयसिंह के समय उनके दरबारी कवि इस मंदिर में बैठकर अपनी काव्य रचना किया करते थे।

बिहारीजी की मुख्य रचना बिहारी सतसई है जिसमें 700 से ज्यादा दोहे हैं। बिहारीजी उस समय भारत के बहुत प्रसिद्ध कवि थे जिनके दोहे आज भी हिन्दी साहित्य में अपना प्रमुख स्थान रखते हैं। 

मंदिर लगभग 10 फीट ऊँची जगती यानी चबूतरे पर हरे रंग के बलुआ पत्थरों से बना है। चबूतरे के नीचे कई कमरे बने हुए हैं जो अब खंडहर में बदल चुके हैं। इन कमरों में से ज्यादातर अब बंद पड़े हैं।

मंदिर में शिखर, गर्भगृह, अंतराल, सभामंडप, गुंबद आदि सब मौजूद थे। गर्भगृह की द्वार शाखा यानी चौखट त्रिपत्री है जिस पर नाग, कमल, संगीतज्ञ, अप्सराओं के साथ देवी देवता अंकित हुआ करते थे लेकिन अब दिखाई नहीं देते हैं।


चौखट के नीचे दो प्रतिमाएँ हैं जो भगवान विष्णु के द्वारपाल हैं। गर्भगृह के दरवाजे के दोनों तरफ की ताकों में एक में गणेशजी और दूसरी में एक खंडित प्रतिमा है।

भगवान विष्णु को समर्पित होने के कारण प्राचीनकाल में मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा हुआ करती थी लेकिन अब इसमें कोई प्रतिमा नहीं है।

मंदिर का सभा मंडप 16 खंभों पर टिका हुआ है जिसकी छत अब मौजूद नहीं है। मुख्य मंदिर के सामने एक चबूतरे पर देव कुलिका है जो गरुड़ जी का स्थान है।

किसी समय मंदिर के बाहरी भाग में नृसिंह, वराह, कृष्ण, ब्रह्मा, गणेश, महिषासुरमर्दिनी सहित कई देवी देवताओं की मूर्तियाँ हुआ करती थी लेकिन अब कोई मूर्ति नजर नहीं आती है।

इस मंदिर का शानदार फिल्मांकन 1978 में आई संजीव कुमार की फिल्म "तुम्हारे लिए" में किया हुआ है जिसमें आप लगभग 50 वर्ष पुराने मंदिर को देख सकते हो।

बिहारीजी मंदिर का इतिहास - History of Bihariji Temple


बिहारीजी मंदिर के इतिहास के बारे में अगर बात करें तो इसका इतिहास लगभग 500 साल पुराना है और ये उस समय के आमेर के राजवंश के साथ-साथ बिहारी सतसई को रचने वाले प्रसिद्ध कवि बिहारी से जुड़ा है।

इस मंदिर का निर्माण आमेर के कछवाहा राजा पृथ्वीराज (1503-1527) की पत्नी बालाबाई (अपूर्वा देवी) ने 16 वीं शताब्दी की शुरुआत में करवाया था।

बालाबाई बीकानेर के राव लूणकरण की बेटी थी। इनके पति राजा पृथ्वीराज ने मेवाड़ के महाराणा सांगा के बुलावे पर उनके साथ मिलकर 1527 ईस्वी में बाबर के खिलाफ खानवा का युद्ध लड़ा था।

इन्होंने राजा पृथ्वीराज की अनजाने में हुई एक गलती की वजह से राजसी सुख और वैभव त्यागकर वैराग्य धारण कर लिया और भक्त बालाबाई के नाम से प्रसिद्ध हुई।

आमेर के पुराने महलों में आज भी इनका कमरा मौजूद है जिसमें आमेर के राजा अपने विवाह से पहले और बाद में बालाबाई और नृसिंह भगवान का आशीर्वाद लेते आए हैं। बालाबाई के इस कमरे को बालाबाई की साळ कहते हैं।

भगवान विष्णु के इस मंदिर में बैठकर ही मिर्जा राजा जयसिंह के दरबारी कवि बिहारीजी अपना प्रसिद्ध काव्य बिहारी सतसई लिखा करते थे। इनके नाम से ही यह मंदिर बिहारीजी का मंदिर कहा जाने लगा।

बिहारीजी मंदिर के पास घूमने की जगह - Places to visit near Bihariji Temple


अगर हम बिहारीजी मंदिर के पास घूमने की जगह के बारे में बात करें तो आप पन्ना मीणा कुंड, अंबिकेश्वर महादेव मंदिर, जगत शिरोमणि मंदिर, सागर झील और आमेर महल देख सकते हैं।

बिहारीजी मंदिर कैसे जाएँ? - How to reach Bihariji Temple?


अब हम बात करते हैं कि बिहारीजी मंदिर कैसे जाएँ? यह मंदिर जयपुर के आमेर में सागर रोड़ पर पन्ना मीणा कुंड के पास बना हुआ है।

जयपुर रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी लगभग 14 किलोमीटर है। इस मंदिर तक आप कार या बाइक से जा सकते हैं। यहाँ जाने के लिए आपको जयपुर रेलवे स्टेशन से जलमहल होते हुए आमेर महल तक आना होगा।

अगर आप कार से आ रहे हैं तो आपको आमेर महल से आगे पहले चौराहे से थोड़ा आगे तिराहे से लेफ्ट लेकर अनोखी म्यूजियम से लेफ्ट साइड में बिहारीजी मंदिर आना है।

यहाँ से वापस जाते समय आपको इधर से ही आगे लेफ्ट टर्न लेकर मुख्य सड़क के चौराहे पर आना है। फिर यहाँ से राइट टर्न लेकर आमेर महल के सामने वाली सड़क से वापस जलमहल होते हुए आना है।

किसी भी परेशानी से बचने के लिए ध्यान रखें कि अगर आप कार से जा रहे हैं तो आमेर महल के आगे से रास्ता जाने का अलग है और आने का अलग है।

अगर आप ऐतिहासिक महत्व के धार्मिक स्थलों को देखने में रुचि रखते हैं तो आपको बिहारीजी की काव्य रचना स्थली को जरूर देखना चाहिए।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस तरह की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

बिहारीजी मंदिर की मैप लोकेशन - Map Location of Bihariji Mandir



बिहारीजी मंदिर का वीडियो - Video of Bihariji Mandir



बिहारीजी मंदिर की फोटो - Photos of Bihariji Mandir


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। इस जानकारी को विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से लिया गया है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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