मेवाड़ के खजुराहो में है कामुक मूर्तियाँ - Ambika Mata Mandir Jagat Udaipur, इसमें कामकला से प्रेरित मूर्तियों वाले प्राचीन अंबिका मंदिर की जानकारी है।
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आपने खजुराहो के मंदिरों के बारे में तो सुना ही होगा जो कामकला को दर्शाती हुई सुंदर मूर्तियों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में खजूराहों के मंदिरों के समय का बना हुआ एक और ऐसा मंदिर है जिसे राजस्थान और मेवाड़ का खजुराहो कहा जाता है।
अंबिका माता के इस मंदिर के दरवाजों, खंभों, दीवारों और छत पर इतनी ज्यादा सुंदर और कलात्मक मूर्तियाँ बनी हुई है कि इसे शिल्पकला का शानदार उदाहरण कहा जा सकता है।
यह मंदिर भारत की प्रसिद्ध बॉलीवुड कलाकार कंगना राणावत की कुल देवी का मंदिर भी है जिसमें वह माता के दर्शन करने के लिए आती रहती है।
तो चलिए आज देवी दुर्गा के एक रूप अंबिका माता के कलात्मक मंदिर में चलकर इसे करीब से जानते हैं। आइए शुरू करते हैं।
अंबिका माता मंदिर जगत की यात्रा और विशेषता, Ambika Mata Mandir Jagat Ki Yatra Aur Visheshta
आप अंबिका माता के मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को इस बात से समझ सकते हैं कि इसे पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित कर रखा है।
मंदिर तक जाने के लिए कुछ सीढ़ियाँ उतरनी पड़ती है क्योंकि यह जमीन के लेवल से थोड़ा नीचे बना हुआ है। मंदिर के चारों तरफ चारदीवारी बनी हुई है।
मंदिर में जाने के लिए सड़क से मंदिर की चारदीवारी में सीढ़ियों से नीचे उतरना पड़ता है। नीचे उतरते ही सामने प्रवेश मंडप बना हुआ है।
अंबिका माता मंदिर का प्रवेश मंडप, Ambika Mata Mandir Ka Pravesh Mandap
कलात्मक खंभों पर टिके हुए इस प्रवेश मंडप के चारों तरफ सुंदर कलात्मक मूर्तियाँ उकेरी हुई हैं। इन मूर्तियों में प्रेम मुद्रा के साथ दूसरे सामाजिक जीवन के दृश्य शामिल हैं।
इन प्रतिमाओं में नर नारियों, नर्तकियों, गायकों और अप्सराओं की प्रतिमाएँ शामिल हैं। प्रवेश मंडप के साथ पूरे मंदिर के खंभों की चौकियों पर महिला कीचक लगे हुए हैं।
अंबिका माता का मुख्य मंदिर, Ambika Mata Ka Mukhya Mandir
प्रवेश मंडप से कुछ दूरी पर नागर शैली में बना मुख्य मंदिर स्थित है। प्रवेश मंडप और मंदिर के बीच बड़ा खुला आँगन है। मंदिर की शिल्प कला के आधार पर इसे 10वीं शताब्दी का माना जाता है।
मंदिर के मुख्य हिस्सों में गर्भगृह, सभा मंडप, जगमोहन और पंचरथ शिखर हैं। मंदिर के अंदर और बाहर चारों तरफ मातृका के कई रूपों, देवी देवताओं, सुर-सुंदरियों के साथ जन जीवन के दृश्यों को दिखाती मूर्तियाँ ही मूर्तियाँ लगी हुई है।
इन मूर्तियों में कई तरह की कामुक मुद्राओं में सुंदरियों और अप्सराओं के साथ यम, कुबेर, वायु, इंद्र, महिषासुरमर्दिनी, नवदुर्गा, वीणाधारिणी, सरस्वती और नृत्य मुद्रा में गणपति की प्रतिमा आदि शामिल है।
मंदिर के बाहरी भाग में तीनों तरफ फर्श से सटी हुई ताको में महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा लगी हुई है। इन प्रतिमाओं में माता अपने रौद्र रूप में है।
मंदिर के चारों तरफ सुंदरियों की इतनी सुंदर और सजीव प्रतिमाएँ लगी हुई हैं कि लगता है जैसे ये प्रतिमाएँ अभी बोल उठेगी।
इन प्रतिमाओं में पीछे मुड़ कर एक पाँव को ऊपर की तरफ मोड़ कर उसमें से काँटा निकालती हुई महिला की प्रतिमा अद्भुत है।
गर्भगृह और सभामंडप का शिखर काफी भव्य और कलात्मक है। इसको बनाने में भी काफी मेहनत की गई है।
मंदिर में प्रवेश करते ही सामने गर्भगृह के दरवाजे की पट्टिका पर सुंदर मूर्तियाँ बनाई हुई हैं। गर्भ गृह के अंदर अम्बिका माता की मूर्ति विराजित है।
खास बात यह है कि गर्भगृह में अम्बिका माता की मूल प्रतिमा नहीं है। वर्तमान प्रतिमा मूल प्रतिमा के चोरी हो जाने के बाद उसके स्थान पर प्रतिष्ठित की गई है।
गर्भगृह के दरवाजे के बाहर दोनों तरफ की ताको में देवी के अलग-अलग रूप की प्रतिमाएँ लगी हुई हैं। गर्भगृह की परिक्रमा के लिए दोनों तरफ दो दरवाजे बने हुए हैं।
सभामंडप की छत अष्ठ कोणीय स्तंभों पर टिकी हुई है। इन स्तंभों पर तीन शिलालेख उत्कीर्ण है। ये शिलालेख विक्रम संवत् 1017 (960 ईस्वी), 1228 (1171 ईस्वी) और 1277 (1220 ईस्वी) के हैं।
सभामंडप की छत और स्तंभों का ऊपरी भाग नक्काशी करके सजाया गया है। इसमें दोनों तरफ हवा और प्रकाश के लिए पत्थर को काटकर बनाई गई जाली काफी सुंदर है।
सभामंडप के दोनों तरफ की जाली वाली ताको में एक में माता की प्रतिमा और दूसरी में नाचते हुए गणेश जी की प्रतिमा है। गणेशजी की नृत्य करती यह प्रतिमा काफी सुंदर है।
मंदिर के गर्भगृह का पानी जिस नाली से बाहर निकलता है, वह एक पत्थर के मटके के मुँह के रूप में समाप्त होती है। इस मटके को एक औरत ने अपने दोनों हाथों में ले रखा है।
गर्भगृह का यह पानी जिस जगह जाता है, वह जगह छोटे मंदिर की तरह है और काफी कलात्मक है। इसके चारों तरफ मूर्तियाँ बनी है और शिखर भी अलंकृत है।
मुख्य मंदिर के पास माता के तीन चार छोटे छोटे मंदिर मौजूद हैं। एक मंदिर की केवल वेदी के अवशेष ही बचे हैं। यह मंदिर पाँचवी शताब्दी में बना हुआ माना जाता है।
ऐसा बताया जाता है कि यह मंदिर ईंटों से बना हुआ था और इसमें एक बच्चे की प्रतिमा मिली थी जो अब उदयपुर के संग्रहालय में रखी हुई है।
अंबिका माता मंदिर का इतिहास, Ambika Mata Mandir Ka Itihas
अगर इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो जगत का यह अंबिका मंदिर दसवीं शताब्दी में बना हुआ माना जाता है, लेकिन ये बात पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि मंदिर कब बना है।
मंदिर में में मिले शिलालेखों से इसके बारे में कुछ जानकारी मिलती है। मंदिर के स्तंभों पर विक्रम संवत् 1017 (960 ईस्वी), 1228 (1171 ईस्वी) और 1277 (1220 ईस्वी) के तीन शिलालेख उत्कीर्ण हैं।
मंदिर में मिले विक्रम संवत् 1306 (1249 ईस्वी) के अभिलेख से वागड़ के शासकों के वंश की जानकारी मिलती है।
आपको बता दें कि पुराने समय में जिस तरह से चित्तौड़ के क्षेत्र को मेवाड़ कहा जाता था, ठीक उसी तरह से डूंगरपुर और बांसवाड़ा के क्षेत्र को वागड़ कहा जाता था।
विक्रम संवत 1277 और 1306 के अभिलेख वागड़ क्षेत्र के शासकों के हैं जिनसे पता चलता है कि उस समय यह क्षेत्र वागड़ के शासकों के अधिकार में था। बाद में महाराणा कुंभा ने इस क्षेत्र को दुबारा अपने अधिकार में लिया।
इस मंदिर के स्तम्भ पर खुदे विक्रम संवत् 1017 यानी 960 ईस्वी के शिलालेख से पता चलता है कि मेवाड़ में उस समय के महारावल अल्लट ने अपने पुरखों की विरासत को बचाए रखने के लिए इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इस मंदिर के निर्माण और विकास में मेवाड़ और वागड़ दोनों क्षेत्र के राजाओं का ही योगदान रहा है।
जगत की छतरियाँ, Jagat Ki Chhatriyan
अंबिका माता के मंदिर के बगल में कुछ छतरियाँ बनी हुई है। ये छतरियाँ शायद जगत गाँव के राजपरिवार के प्रभावशाली लोगों की है। कई छतरियों के अंदर सती स्तम्भ लगा हुआ है।
इन छतरियों के पास जमीन के लेवल से थोड़ा नीचे की तरफ एक मंदिर बना हुआ है। जब हम यहाँ गए थे तब इसमें पानी भरा होने की वजह से हम इसके अंदर नहीं जा पाए।
जगत में मालर (मालेश्वरी) माता का मंदिर, Jagat Me Malar (Maleshwari) Mata Ka Mandir
अंबिका मंदिर के अलावा जगत गाँव में एक पहाड़ी के ऊपर मालर माता का मंदिर बना हुआ है। मालर माता को मालेश्वरी माता भी कहा जाता है।
पहाड़ी के ऊपर मंदिर तक जाने के लिए पक्की सड़क बनी हुई है। इस सड़क के द्वारा आप बाइक या कार दोनों से पहाड़ी पर जा सकते हैं। अगर आप पैदल जाना चाहें तो इसके लिए अलग से दूसरा रास्ता बना हुआ है।
पहाड़ के ऊपर माताजी का सुंदर मंदिर बना हुआ है जिसमें माताजी विराजित हैं। मंदिर में कई प्राचीन प्रतिमाएँ रखी हुई हैं।
ऐसा माना जाता है कि पहाड़ी पर विराजित मालर माता और नीचे विराजित अंबिका माता दोनों सगी बहने हैं। पहाड़ी से चारों तरफ दूर-दूर तक का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
जगत अंबिका मंदिर के पास घूमने की जगह, Jagat Ambika Mandir Ke Paas Ghumne Ki Jagah
अगर हम जगत अंबिका मंदिर के पास घूमने की जगह के बारे में बात करें तो आप बाघदड़ा नेचर पार्क, झामेश्वर महादेव मंदिर, गुप्तेश्वर महादेव मंदिर, मालर माता मंदिर आदि देख सकते हैं।
जयसमंद झील यहाँ से लगभग 25 किलोमीटर दूर है। आप यहाँ से बिना उदयपुर वापस आए डायरेक्ट जयसमंद झील देखने जा सकते हैं।
सड़क की हालत ज्यादा अच्छी नहीं है लेकिन बाइक से जाया जा सकता है। अगर सड़क की हालत ठीक हो तो कार से भी जा सकते हैं।
जगत अंबिका मंदिर कैसे जाएँ?, Jagat Ambika Mandir Kaise Jayen?
अब बात करते हैं कि जगत अंबिका मंदिर कैसे जाएँ? अंबिका मंदिर उदयपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर जगत गाँव के अंदर बना हुआ है।
उदयपुर रेल्वे स्टेशन से जगत के अंबिका माता मंदिर की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है। उदयपुर रेल्वे स्टेशन से यहाँ जाने के लिए दो रास्ते हैं जो लगभग बराबर हैं।
पहले रास्ते से आपको एकलिंगपुरा, उमरड़ा, बाघदड़ा नेचर पार्क, झामर कोटड़ा होते हुए जाना है।
दूसरे रास्ते से आपको राणा प्रताप नगर रेल्वे स्टेशन से पहले ठोकर चौराहे से राइट साइड में उदयसागर रोड़ से इंडस्ट्रियल एरिया होते बायपास के नीचे से निकाल कर कानपुर, लकड़वास, बाघदड़ा नेचर पार्क, झामर कोटड़ा होते हुए जाना है।
हम जब गए थे तब उदयपुर से जगत गाँव तक जाने के लिए सड़क की हालत ज्यादा अच्छी नहीं थी लेकिन सड़क की हालत समय के साथ बदलती रहती है। बाइक से कभी भी आसानी से जाया जा सकता है।
अगर आप प्राचीन मंदिरों की शिल्पकला के साथ पहाड़ों की प्राकृतिक सुंदरता को करीब से देखना चाहते हैं तो आपको जगत अंबिका मंदिर जरूर देखना चाहिए।
आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।
इस प्रकार की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।
जगत अंबिका मंदिर की मैप लोकेशन, Jagat Ambika Mandir Ki Map Location
जगत अंबिका मंदिर की फोटो, Jagat Ambika Mandir Ki Photos
लेखक
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}