उदयपुर को बसाने वाले महाराणा की गुमनाम छतरी - Maharana Udai Singh Ki Chhatri

उदयपुर को बसाने वाले महाराणा की गुमनाम छतरी - Maharana Udai Singh Ki Chhatri, इसमें महाराणा उदय सिंह की गोगुंदा मे स्थित छतरी के बारे में जानकारी है।


{tocify} $title={Table of Contents}

यह तो आप जानते ही होंगे कि झीलों की नगरी के नाम से प्रसिद्ध उदयपुर शहर को महाराणा प्रताप के पिता महाराणा उदय सिंह ने बसाया था।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि उदयपुर को बसाने वाले महाराणा उदय सिंह की मृत्यु कहाँ हुई थी, उनकी समाधि आज कहाँ और किस स्थिति में है।

आज हम महाराणा उदय सिंह की समाधि के रूप में बनी छतरी के बारे में बात करेंगे और इस जगह के इतिहास के बारे में जानेंगे।

तो चलते हैं महाराणा उदय सिंह के समाधि स्थल पर और देखते हैं इनकी छतरी को, तो आइए शुरू करते हैं।

महाराणा उदय सिंह की छतरी की यात्रा और विशेषता, Maharana Udai Singh Ki Chhatri Ki Yatra Aur Visheshta


महाराणा खेता द्वारा बनवाए हुए खेतला तालाब के किनारे पर कुल 17 छतरियाँ बनी हुई हैं जो महाराणा खेता, महाराणा उदय सिंह के अलावा अन्य राजराणाओं की हैं। इस जगह को महासत्या स्थल या महासतिया भी कहा जाता है।

इन छतरियों में सबसे बड़ी छतरी महाराणा खेता की छतरी है जिसे अभी तक सभी महाराणा उदय सिंह की छतरी समझते आ रहे हैं। एक ऊँचे प्लेटफॉर्म पर बनी यह छतरी 8 खंभों की है।

इस छतरी की सीढ़ियों के पास एक शिलालेख जैसा पत्थर लगा हुआ है जिसके ऊपर की लिखावट शायद घिस दी गई है। छतरी के ऊपर बीच में एक शिवलिंग लगा हुआ है।

छतरी की बनावट पाँच छह सौ वर्ष पुरानी लगती है। पत्थरों से बनी इसकी गोलाकार छत उस समय की शिल्पकला को प्रदर्शित करती है।

महाराणा खेता की छतरी के पास ही एक जीर्ण शीर्ण मंदिर का कुछ हिस्सा मौजूद है। मंदिर के इस हिस्से को देखने से पता चलता है कि नष्ट होने से पहले यह काफी बड़ा मंदिर था।

यह मंदिर संभवतः एक शिव मंदिर था जिसे महाराणा खेता ने इस तालाब के साथ ही बनवाया था। समय के साथ देखरेख के अभाव में यह मंदिर नष्ट हो गया। साथ ही दबे हुए खजाने के लालच में लोगों ने भी इसे बहुत नुकसान पहुँचाया है।

इस मंदिर के पास ही कुछ ग्रुप में एक साथ पाँच-पाँच तक छतरियाँ बनी हुई है। ये छतरियाँ यहाँ के झाला राजराणाओं की छतरियाँ हैं।

इनमें से कई छतरियों पर उस समय के लेख लिखे हुए हैं जिससे इन छतरियों के बारे में जानकारी मिलती है। तालाब के पास एक चबूतरे के ऊपर सफेद मार्बल पर एक घुड़सवार के पास एक महिला की छवि उकेरी हुई है।

सामने काफी दूर तक खेतला तालाब फैला हुआ है जिसमें कई जगह कमल खिले हुए हैं। इन छतरियों के पास से एक रास्ता है जिसके दूसरी तरफ महाराणा उदय सिंह की छतरी बनी है।

सफेद मार्बल से बनी इस छतरी के बीच में महाराणा उदय सिंह और उनकी तीन रानियों की हाथ जोड़े हुए स्थिति में सती स्तम्भ लगा हुआ है। इस छतरी का ऊपरी हिस्सा अभी कुछ महीने पहले ही बनाया गया है।

पहले महाराणा उदय सिंह की छतरी सिर्फ एक चबूतरे के रूप में थी जिस पर केवल सती स्तम्भ लगा हुआ था। इस छतरी का किसी को पता भी नहीं चल पाता था और यहाँ आने वाले सभी लोग महाराणा खेता की छतरी को ही उदय सिंह की छतरी समझते थे।

जब हम यहाँ पर गए थे तब अन्य छतरियों के जीर्णोद्धार के साथ महाराणा उदय सिंह की छतरी के निर्माण का काम चल रहा था।

अब इस छतरी का जीर्णोद्धार कर दिया गया है। छतरी का निचला हिस्सा तो इसके निर्माण के समय का ही है लेकिन छतरी के ऊपर का हिस्सा बिल्कुल नया है।

महाराणा उदय सिंह की इस छतरी के पास ही सती माता का एक छोटा सा मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर को महाराणा खेता से भी पहले का माना जाता है।

खेतला तालाब के पास ही एक बड़ा तालाब बना हुआ है जिसे राणेराव तालाब कहा जाता है। इस तालाब को महाराणा मोकल की एक रानी ने बनवाया था।

तालाब की पाल पर शिवलिंग विराजित है जिसके पास ही एक बहुत प्राचीन मातृ देवी की प्रतिमा स्थापित है। इस तालाब पर सुंदर पाल बनाई जा रही है जिस पर कई छतरियों का निर्माण हो चुका है।

तालाब के दूसरे छोर पर जलेश्वर महादेव का मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर को भी काफी प्राचीन बताया जाता है।

राणेराव तालाब का धार्मिक महत्व भी है क्योंकि श्रद्धालु हर वर्ष जल झूलनी एकादशी पर गाँव के मंदिरों से राम रेवाड़ियाँ लेकर आते हैं और ठाकुरजी को इस तालाब में स्नान करवाते हैं।

अभी राणेराव तालाब और महासत्या स्थल का विकास केंद्र सरकार की डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन योजना के अंतर्गत किया जा रहा है।

महाराणा उदय सिंह की छतरी का इतिहास, Maharana Udai Singh Ki Chhatri Ka Itihas


अगर यहाँ के इतिहास के बारे में बात करें तो महाराणा खेता यानी महाराणा क्षेत्र सिंह ने गोगुंदा के महल के जीर्णोद्धार के साथ इसके पास ही एक तालाब का निर्माण भी करवाया।

इस तालाब को महाराणा खेता के नाम पर खेतला तालाब कहा जाता है। महाराणा ने इस तालाब के किनारे पर एक मंदिर भी बनवाया जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं।

महाराणा खेता की मृत्यु के बाद उनका दाह संस्कार तालाब के पास किया गया और उनकी याद में समाधि बनाई गई जो एक छतरी के रूप में आज भी मौजूद है।

महाराणा खेता के पौत्र महाराणा मोकल की एक रानी ने खेतला तालाब के पास ही एक दूसरा तालाब बनवाया जिसे "राणी रो तालाब" के नाम से जाना जाता था। समय के साथ इस तालाब का नाम "राणी रो तालाब" से बदलकर राणेराव तालाब हो गया।


28 फरवरी 1572 ईस्वी में होली के दिन महाराणा उदय सिंह की मृत्यु हो जाने के बाद खेतला तालाब के किनारे पर इनका दाह संस्कार किया गया।

इसके साथ इनकी याद में दाह संस्कार स्थल पर एक छतरी का निर्माण किया गया लेकिन देखरेख के अभाव में वह छतरी निचले हिस्से को छोड़ कर पूरी तरह नष्ट हो गई।

महाराणा उदय सिंह की छतरी के पास घूमने की जगह, Maharana Udai Singh Ki Chhatri Ke Paas Ghumne Ki Jagah


अगरमहाराणा उदय सिंह की छतरी के पास घूमने की जगह के बारे में बात करें तो गोगुंदा महल, महाराणा प्रताप का राजतिलक स्थल, धोलिया जी पर्वत आदि प्रमुख जगह हैं।

महाराणा उदय सिंह की छतरी पर कैसे जाएँ?, Maharana Udai Singh Ki Chhatri Par Kaise Jayen?


अब बात करते हैं कि महाराणा उदय सिंह की छतरी पर कैसे जाएँ। महाराणा उदय सिंह की छतरी उदयपुर में गोगुंदा कस्बे के पास खेतला तालाब के किनारे पर बनी हुई है।

उदयपुर रेलवे स्टेशन से यहाँ की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है। उदयपुर से गोगुंदा तक नेशनल हाईवे बना हुआ है।

गोगुंदा बस स्टैन्ड से उदय सिंह की छतरी की दूरी लगभग ढाई किलोमीटर है। बस स्टैन्ड से गोगुंदा महल, पावर हाउस से सैन्ट पॉल स्कूल के सामने से होते हुए यहाँ पर जा सकते हैं।

बारिश के मौसम में तालाब का पानी सड़क के ऊपर से बहता रहता है जिसकी वजह से रास्ते का नजारा भी बड़ा सुंदर हो जाता है।

अगर आप उदयपुर को बसाने वाले और वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के पिता महाराणा उदय सिंह की छतरी को करीब से देखना चाहते हो तो आपको यहाँ जरूर जाना चाहिए।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस प्रकार की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

महाराणा उदय सिंह की छतरी की मैप लोकेशन, Maharana Udai Singh Ki Chhatri Ki Map Location



महाराणा उदय सिंह की छतरी की फोटो, Maharana Udai Singh Ki Chhatri Ki Photos

Maharana Udai Singh Ki Chhatri Gogunda

Maharana Kheta Ki Chhatri Gogunda

Maharana Udai Singh Ki Chhatri Gogunda

Maharana Udai Singh Ki Chhatri Old

Ranerav Talab Gogunda

लेखक
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
GoJTR.com

GoJTR - Guide of Journey To Rajasthan provides information related to travel and tourism, arts and culture, religious, festivals, personalities, etc. It tells about the various travel destinations of Rajasthan and their historical and cultural importance. It discovers the hidden aspects of Indian historical background and heritages. These heritages are Forts, Castles, Fortresses, Cenotaphs or Chhatris, Kunds, Step Wells or Baoris, Tombs, Temples and different types of monuments, related to Indian historical glory.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने