केवल राजस्थान में बहने वाली सबसे लंबी नदी - Banas Nadi Ka Udgam Sthal, इसमें वेरों के मठ से बनास नदी के उद्गम स्थल के साथ नदी के बारे में जानकारी है।
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आज हम आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके उद्गम स्थल पर भगवान परशुराम ने अंगराज कर्ण को शिक्षा दी थी।
इसी नदी पर मातृकुंडिया नामक जगह पर परशुरामजी ने स्नान करके अपनी माता की हत्या का प्रायश्चित किया था। इस नदी पर एक दो नहीं, तीन त्रिवेणी संगम तीर्थ स्थल बने हुए हैं।
सबसे खास बात यह है कि इस नदी का उद्गम स्थल और समापन स्थल दोनों ही तीर्थ स्थल का दर्जा रखते हैं। यही वो नदी है जिसके पास में हल्दीघाटी का युद्ध हुआ था।
तो आज हम आपको केवल राजस्थान में बहने वाली राजस्थान की इस सबसे लंबी नदी के बारे में जानकारी देते हैं, आइए शुरू करते हैं।
बनास नदी की विशेषता, Banas Nadi Ki Visheshta
आज हम जिस नदी के बारे में बात करने जा रहे हैं उसका नाम है बनास नदी। इस नदी का दूसरा नाम "वन की आस" यानी वन की आशा है।
बनास नदी राजस्थान की सबसे बड़ी नदी है, जो अपने उद्गम स्थल से निकलकर 512 किलोमीटर की दूरी में बहती है।
बनास नदी की वजह से ही मेवाड़ की संस्कृति को बनास संस्कृति कहा जाता है। इस नदी के किनारे पर कई प्राचीन सभ्यताएँ फली फूली हैं।
खमनोर के अंदर बनास नदी के किनारे पर 1576 ईस्वी में महाराणा प्रताप और बादशाह अकबर की सेना के बीच हल्दीघाटी का युद्ध हुआ था।
बनास नदी, राजसमंद में वेरों का मठ से निकलकर बरवाड़ा, कठार, खमनौर, नाथद्वारा, कांकरोली, रेलमगरा होते हुए चित्तौड़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक, बूंदी जिले पार करके सवाईमाधोपुर जिले में मध्य प्रदेश की सीमा पर रामेश्वर घाट नाम की जगह पर चम्बल नदी में मिल जाती है।
बनास नदी का उद्गम स्थल, Banas Nadi Ka Udgam Sthal
बनास नदी का उद्गम स्थल कुंभलगढ़ और सायरा के बीच जरगा पर्वत के पूर्व में वेरों का मठ नाम की जगह से है यानी बनास नदी की शुरुआत वैरों का मठ नामक जगह से होती है।
इस जगह को बड़ा पवित्र माना जाता है। यहाँ पर मंदिर के साथ-साथ आज भी वो गुफा मौजूद है जिसमें परशुरामजी ने अंगराज कर्ण को शिक्षा दी थी।
बनास नदी पर बाँध, Banas Nadi Par Bandh
बनास नदी पर तीन बड़े बाँध बने हुए हैं। ये बाँध राजसमंद जिले में नन्दसमंद, टोंक जिले में बीसलपुर और सवाईमाधोपुर जिले में ईसरदा बाँध है।
इसके साथ बनास नदी पर चित्तौड़गढ़ में मातृकुंडिया नामक जगह पर भी बाँध बना हुआ है। मातृकुंडिया एक बड़ा तीर्थ स्थल है। यहाँ पर परशुरामजी ने अपनी माता की हत्या का प्रायश्चित किया था।
बनास नदी पर त्रिवेणी संगम, Banas Nadi Par Triveni Sangam
बनास नदी पर अलग-अलग जिलों में तीन जगह ऐसी है जहाँ पर इसमें दो नदिया और मिलती है। इस प्रकार तीन नदिया मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती हैं।
इस त्रिवेणी संगम को तीर्थ स्थल के समान माना और पूजा जाता है। बनास नदी पर भीलवाड़ा में बीगोद, टोंक में राजमहल और सवाईमाधोपुर में रामेश्वर घाट नामक तीन त्रिवेणी संगम है।
बीगोद में बनास, बेड़च और मेनाली नदी, राजमहल में बनास, खारी और डाई नदी और रामेश्वर घाट में बनास, चम्बल और सीप नदी के मिलने की वजह से त्रिवेणी संगम बनता है।
बनास नदी की सहायक नदिया, Banas Nadi Ki Sahayak Nadiya
बनास नदी की सहायक नदियों में बेड़च, कोठारी, खारी, डाई, मोरेल, मांसी, ढूंढ, कालीसिल, मेनाली आदि प्रमुख है।
कोठारी नदी, Kothari Nadi
कोठारी नदी, राजसमंद में दिवेर की पहाड़ियों से निकलकर भीलवाडा के नंदराय में बनास में मिलती है। कोठारी नदी पर भीलवाड़ा जिले में मांडल कस्बे के पास मेजा बांध बना हुआ है।
खारी नदी, Khari Nadi
खारी नदी, राजसमंद में दिवेर के उत्तर में बीजराल की पहाड़ियों से निकलकर टोंक में राजमहल नाम की जगह पर बनास में मिलती है। इस नदी पर भीलवाडा में खारी बाँध और अजमेर में नारायण सागर बाँध बना हुआ है।
डाई नदी, Dai Nadi
डाई नदी, अजमेर में नसीराबाद से निकलकर टोंक में राजमहल नाम की जगह पर बनास में मिलती है।
मोरेल और कालीसिल नदी, Morel Aur Kalisil Nadi
मोरेल नदी, जयपुर के चैनपुरा से और करौली से कालीसिल नदी बनास मे मिलती है। कालीसिल नदी के किनारे पर केला देवी का प्रसिद्ध मंदिर बना हुआ है।
मेनाली नदी, Menali Nadi
भीलवाडा में मांडलगढ़ के पास बीगोद नामक जगह पर बनास नदी में मेनाली नदी आकर मिलती है। इस मेनाली नदी पर मेनाल का झरना स्थित है जिसे राजस्थान का सबसे ऊँचा झरना कहा जाता है।
बेड़च या आयड़ नदी, Bedach Ya Ayad Nadi
बनास नदी की सबसे प्रमुख सहायक नदी बेड़च है। इस नदी को आयड़ के नाम से भी जाना जाता है। इस नदी से मेवाड़ की चार राजधानियों का संबंध रहा है।
यह नदी मेवाड़ की एक राजधानी गोगुंदा की पहाड़ियों से निकलकर दूसरी तीन राजधानियों आयड़, उदयपुर और चित्तौड़ से जुड़ी हुई है।
बेड़च नदी का उद्गम स्थल गोगुंदा की पूर्वी दिशा में स्थित अम्बा माता के मंदिर के पास वाली पहाड़ियाँ हैं। अम्बा माता के मंदिर को मध्यकाल में गोगुंदा का प्रवेश द्वार कहा जाता था।
बेड़च नदी गोगुंदा की पहाड़ियों से निकलकर झालों का गुड़ा, नया गुड़ा, मदार, थूर, चिकलवास होते हुए एक नहर के रूप में फतेहसागर झील में मिलती है।
फतेहसागर से यह आयड़ नदी के रूप में आयड होते हुए उदयसागर बाँध में जाती है। उदयसागर के बाद यह बेड़च नदी के रूप में बहती हुई भीलवाडा में मांडलगढ़ के पास बीगोद नामक जगह पर बनास नदी में मिल जाती है।
गंभीरी नदी, Gambhiri Nadi
चित्तौड़ में बेड़च नदी पर घोसुंडा बाँध बना हुआ है। चित्तौड़ में ही मध्य प्रदेश से बहकर आती हुई गंभीरी नदी इसमें मिलती है। चित्तौड़ में गंभीरी नदी पर गंभीरी बांध बना हुआ है।
तो आप समझ गए होंगे कि बनास नदी राजस्थान के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। समय के साथ भले ही यह नदी बारहमासी से बरसाती में बदल गई हो लेकिन इसका महत्व अब पहले से कहीं ज्यादा हो गया है।
जब भी आपको मौका मिले तो इसके ऊपर बने हुए धार्मिक पर्यटक स्थलों जैसे वेरों का मठ, मातृकुंडिया, बीगोद, रामेश्वर घाट आदि को जरूर देखना चाहिए।
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इस प्रकार की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।
बनास नदी के उद्गम स्थल की मैप लोकेशन, Banas Nadi Ke Udgam Sthal Ki Map Location
बनास नदी के उद्गम स्थल की फोटो, Banas Nadi Ke Udgam Sthal Ki Photos
लेखक
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}