जयपुर में पहाड़ों के बीच इतना ऊँचा झरना - Hathni Kund Waterfall Jaipur, इसमें नाहरगढ़ की पहाड़ी पर स्थित आथुणी कुंड यानी हथनी कुंड के बारे में बताया है।
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जयपुर के अंदर घूमने फिरने की काफी जगह है। बारिश के मौसम में जयपुर शहर के पास स्थित अरावली की पहाड़ियाँ हरी भरी हो जाती है। ऐसे में घूमने फिरने के लिए कई एक्स्ट्रा टूरिस्ट डेस्टिनेशंस और डवलप हो जाती है।
बारिश के मौसम में इन पहाड़ों के अंदर कुछ जगह ऐसी भी हैं जहाँ पर झरने बहने शुरू हो जाते हैं। जैसा कि आप जानते ही हैं कि बारिश के मौसम में सभी लोगों की पसंदीदा जगह बहता हुआ झरना जरूर होती है।
आज हम आपको जयपुर की उस छुपी हुई जगह की यात्रा करवाने वाले हैं जहाँ पर 70-80 फीट की ऊँचाई से बहते हुए झरने के साथ-साथ बेपनाह प्राकृतिक सुंदरता है।
इसके साथ ये जगह इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस जगह का सम्बन्ध वर्ष 1981 में जयपुर शहर के अंदर आई हुई बाढ़ से भी है। जयपुर शहर से होकर बहने वाली द्रव्यवती नदी का उद्गम स्थल भी यही जगह है।
तो आइए चलते हैं इस खूबसूरत जगह पर और बहते हुए झरने के साथ-साथ इस जगह पर मौजूद कुंड और मंदिरों का नजरा करते हैं। तो आइए शुरू करते हैं।
हथनी कुंड की यात्रा और विशेषता, Hathni Kund Ki Yatra Aur Visheshta
अरावली की पहाड़ियों के बीच घने जंगल में स्थित इस जगह पर जाने का मजा ही कुछ और है। इस जगह पर जाने के लिए जंगल के बीच लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है।
ऊबड़-खाबड़ पथरीले रास्ते पर चलने के बाद मिट्टी वाला कच्चा रास्ता आता है। कच्चे रास्ते के बाद सीधे पत्थरों पर चढ़कर फिर नीचे उतरना पड़ता है।
झरने तक जाते-जाते थकान हो जाती है लेकिन जैसे ही हमें झरने वाली जगह दिखाई देती है, वैसे ही सारी थकान गायब हो जाती है।
पहाड़ी के ऊपर से झरने के साथ-साथ मंदिर और फिर उसके आगे कुंड ऐसा लगता है जैसे हम जयपुर में ना होकर किसी पहाड़ी राज्य में आ गए हैं।
बारिश के मौसम में झरने से बहता सफेद पानी ऐसा लगता है जैसे पहाड़ी पर से दूध की धारा बह रही हो। झरने के नीचे लोग खुशी से झूमते नजर आते हैं।
झरने के नीचे नहाने वालों में युवा वर्ग सबसे ज्यादा होता है। बुजुर्ग लोग यहाँ पर बहुत कम आ पाते हैं क्योंकि यहाँ तक आने के लिए रास्ता थोड़ा कठिन है।
झरने के पास हथुनेश्वर महादेव का मंदिर बना हुआ है। मंदिर के अंदर शिवलिंग के रूप में हथुनेश्वर महादेव विराजमान है। इन्हें महाकाल कहा जाता है।
झरने से आगे पानी बहकर एक कुंड में जा रहा है। इस कुंड को हथनी कुंड (Hathni Kund) कहा जाता है लेकिन इसका वास्तविक नाम आथुणी कुंड (Aathuni Kund) है।
दरअसल स्थानीय भाषा में आगुणी और आथुणी पूर्व और पश्चिम दिशाओं को कहा जाता था। पश्चिमी दिशा में होने की वजह से इसे आथुणी कुंड कहा जाता था।
समय के साथ इसका नाम बदलकर हथनी कुंड हो गया। वैसे इस कुंड का किसी हथिनी से कोई संबंध नहीं है। राजाओं के समय में यह जगह शिकार खेलने के काम में ली जाती थी।
यह कुंड लगभग 25-30 फीट लंबा और चौड़ा है। इसकी गहराई भी 15-20 फीट बताई जाती है। इस कुंड में नहाने से बचना चाहिए क्योंकि यहाँ पर कई बार हादसे हो चुके हैं।
कुंड के बगल से सीढ़ियाँ चढ़ने पर ऊपर हनुमान जी का एक पुराना मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर की छत पर से झरने और कुंड का बड़ा सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
यहाँ से कुंड के आगे दूर-दूर तक घना जंगल नजर आता है। इस जंगल में कई प्रकार के जंगली जानवर जैसे पैन्थर, साँप, मोर आदि रहते हैं।
अगर आप इस जगह पर आते हैं तो आपको ग्रुप में आना चाहिए और शाम होने से पहले-पहले वापस लौट कर चले जाना चाहिए।
हथनी कुंड का इतिहास, Hathni Kund Ka Itihas
इस जगह के इतिहास के बारे में अगर बात करें तो हथनी कुंड राजा महाराजाओं के जमाने का है। इसे पाँच सौ वर्षों से भी प्राचीन बताया जाता है। प्राचीन समय में इस जगह पर राजा शिकार खेलने आया करते थे।
हथनी कुंड ही जयपुर के बीच में से बहने वाली द्रव्यवती नदी का उद्गम स्थल था, यानी द्रव्यवती नदी इसी स्थान से बहना शुरू करती थी। प्राचीन समय में यह नदी कई महीनों तक बहा करती थी।
ऐसा बताया जाता है राजा सवाई माधो सिंह द्वितीय ने यहाँ पर एक बाँध बनवाया था जिसकी टूटी हुई दीवार आज भी झरने तक पहुँचने से पहले रास्ते में दिखाई देती हैं।
वर्ष 1981 में 23 जुलाई के दिन एक दिन में 32.6 cm यानी 326 mm बारिश हुई थी जिसकी वजह से यह बाँध टूट गया और जयपुर शहर में बाढ़ आ गई।
हथनी कुंड के पास घूमने की जगह, Hathni Kund Ke Paas ghumne Ki Jagah
हथनी कुंड के आस पास घूमने की जगह के बारे में अगर बात करें तो आप नाहरगढ़ की पहाड़ी पर चरण मंदिर, नाहरगढ़ फोर्ट, जयगढ़ फोर्ट आदि जगह देख सकते हैं।
नाहरगढ़ की पहाड़ी से जलमहल बड़ा सुंदर दिखाई देता है। अकसर लोग यहाँ फोटोग्राफी के लिए आते रहते हैं।
हथनी कुंड कैसे जाएँ?, Hathni Kund Kaise Jayen?
अब हम बात करते हैं कि हथनी कुंड कैसे जाएँ?
ऐसा कहा जाता है कि मंजिल से ज्यादा मजा सफर में आता है। हथनी कुंड जाने पर यह बात एकदम सही साबित होती है। जितना मजा इस जगह को देखने में आता है उससे कहीं ज्यादा मजा यहाँ जाने में आता है।
हथनी कुंड नाहरगढ़ की पहाड़ी पर चरण मंदिर के पीछे जंगल के बीच में स्थित है। चरण मंदिर से हथनी कुंड तक लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर पैदल जाना होता है।
हथनी कुंड की जयपुर रेलवे स्टेशन से कुल दूरी लगभग 17 किलोमीटर है। जयपुर रेलवे स्टेशन से हवा महल, जल महल होते हुए नाहरगढ़ की पहाड़ी पर स्थित चरण मंदिर तक बाइक या कार से आ सकते हैं।
चरण मंदिर नाहरगढ़ के किले से तीन चार किलोमीटर पहले आता है। चरण मंदिर के सामने आप अपना वाहन पार्क कर सकते हैं।
चरण मंदिर से हथनी कुंड तक पथरीला रास्ता है। चरण मंदिर से कुछ आगे जाने के बाद यह रास्ता दो रास्ते में डिवाइड हो जाता है।
यहाँ से आपको लेफ्ट साइड वाले रास्ते पर जाना है। दोनों तरफ घने पेड़ों से घिरा हुआ यह रास्ता कई जगह बहुत ज्यादा पथरीला और ऊबड़-खाबड़ है।
आगे जाने पर लेफ्ट साइड में एक कुआँ आता है। बारिश में यह ऊपर तक भरा रहता है लेकिन यह काफी गहरा कुआ है।
आगे कच्ची मिट्टी वाला रास्ता आता है। बारिश के मौसम में यहाँ पर पानी बहता रहता है। बहता हुआ यह पानी झरने के जरिए नीचे कुंड में गिरता है।
यहाँ से आगे मिट्टी के बड़े टीले को उतर कर पार करना पड़ता है। यहाँ पर आगे लेफ्ट साइड से पानी आता हुआ मिलता है। ये पानी भी झरने के पानी में मिल जाता है।
इसके आगे सीधे पत्थर पर चढ़ना पड़ता है। यहाँ पर बड़े ध्यान से चढ़ना और उतरना होता है क्योंकि इस पत्थर पर बड़ी फिसलन होती है।
पत्थर से कुछ आगे जाने पर श्री बुध गिरी नागा बाबा की समाधि बनी हुई है। यहाँ इनके पद चिन्ह बने हुए हैं। समाधि के बगल से आगे जाने पर नीचे उतरना पड़ता है।
काफी नीचे उतरने के बाद सीढ़ियाँ बनी हुई हैं और सामने झरना दिखाई देता है। झरने के पास में ही हथुनेश्वर महादेव का मंदिर बना हुआ है।
अगर आप बारिश के मौसम में जाते हैं तो आपको झरना देखने को मिल सकता है। बारिश के मौसम के अलावा यह झरना दिखाई नहीं देता है।
अगर आप एडवेंचर के साथ-साथ ट्रैकिंग और हाईकिंग के शौकीन हैं तो आपको ये जगह जरूर पसंद आएगी। इस जगह का भरपूर आनंद उठाने के लिए बारिश के मौसम में जाना सबसे अच्छा है।
तो आज बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। ऐसी ही नई-नई जानकारियों के लिए हमसे जुड़े रहें।
जल्दी ही फिर मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ। तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।
हथनी कुंड की मैप लोकेशन, Hathni Kund Ki Map Location
हथनी कुंड की फोटो, Hathni Kund Ki Photos
लेखक
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}