भक्त प्रहलाद के साथ यहाँ जली थी होलिका - Hiranyakashyap Ka Mahal Jawar

भक्त प्रहलाद के साथ यहाँ जली थी होलिका - Hiranyakashyap Ka Mahal Jawar, इसमें हिरण्यकश्यप के महल के साथ प्रहलाद और होलिका के जलने की जगह दिखाई है।


{tocify} $title={Table of Contents}

क्या आप वो जगह देखना चाहते हैं जहाँ पर भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था? क्या आप उस पवित्र जगह को देखना चाहते हैं जहाँ से होली जलने की शुरुआत हुई थी?

हमारी बातें सुनकर शायद आपको भरोसा नहीं हो पा रहा होगा लेकिन हम आपको आगे जो दिखाने वाले हैं उसे देख कर आप चौंक उठेंगे।

आज हम आपको हिरण्यकश्यप का वो किला दिखाएँगे जिसमें कई पौराणिक घटनाएँ घटी थी। इस किले के आस पास रहने वाले सभी आदिवासी लोग भी इसे हिरण्यकश्यप का महल ही बताते हैं।

यहाँ पर हम आपको हिरण्यकश्यप के महलों के साथ-साथ अग्निकुंड वाली वो जगह भी दिखाएँगे जहाँ पर हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने प्रह्लाद को अपनी गोद में बिठाकर जलाकर मारने का प्रयास किया था।

इस किले के अंदर, महल का वो दरवाजा भी मौजूद है जहाँ पर भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप को मारा था।

हिरण्यकश्यप के महल की यात्रा और विशेषता, Hiranyakashyap Ke Mahal Ki Yatra Aur Visheshta


जावर की पहाड़ियों में घने जंगल के बीच ट्राइबल एरिया में पहाड़ के ऊपर हिरण्यकश्यप का किला बना हुआ है। यह किला इतना विशाल है कि एक दिन में पूरा किला देख पाना थोड़ा मुश्किल है।

किले के आस पास घना जंगल है जिसमे पैंथर जैसे जंगली जानवर मौजूद हैं। इस ट्राइबल एरिया के सभी लोग जंगल में शेर होने का दावा भी करते हैं लेकिन गवर्नमेंट के हिसाब से यहाँ पर कई पैंथर हैं।

यह किला पहाड़ के ऊपर बना हुआ है और यहाँ जाने के लिए आपको ऊबड़-खाबड़ पत्थरों पर कंटीली झाड़ियों के बीच चलना होता है।

इन झाड़ियों में जगह-जगह किवांच या केमच की फलियों के पौधे लगे होते हैं जिनसे बचकर चलना होता है। अगर शरीर का कोई भी हिस्सा इनके टच हो जाए तो उस जगह पर भयंकर खुजली चलती है।

हमने इस किले में लगभग पाँच घंटे का समय बिताया लेकिन फिर भी कुछ महत्वपूर्ण स्थानों के अलावा ज्यादा नहीं देख पाए।

हजारों वर्ष पुराना यह किला अब खंडहर में बदल गया है लेकिन फिर भी कुछ गेट, बुर्ज, महल की चहारदीवारियों के अवशेष और विशाल परकोटा आज भी दिखाई देता हैं।

ऐसा लगता है कि जैसे किले के ये खंडहर उस कहावत को सच साबित कर रहे हैं जिसमें कहा गया है कि खंडहरों से पता लग जाता है कि ये इमारत कितनी बुलंद रही होगी।

किले की सुरक्षा के लिए इसके चारों तरफ एक मोटी दीवार का परकोटा बना हुआ है। परकोटे की दीवार बहुत ज्यादा चौड़ी हैं और मजबूत दिखाई देती है।

पहाड़ के ऊपर किले के मुख्य गेट पर हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है। यह मुख्य गेट काफी विशाल, मजबूत और कलात्मक है।

ऊपर जाने पर ऐसे दो और गेट तो हमने देखें हैं लेकिन किले में कुल कितने गेट हैं ये बता पाना मुश्किल है।


मुख्य गेट से परकोटे के पास होते हुए लगभग तीन चार सौ मीटर की दूरी पर वह जगह बनी हुई है जहाँ पर हिरण्यकश्यप की बहन होलिका मारी गई थी।

यह जगह एक मंदिर के रूप में पूजी जाती है। इसमें भगवान विष्णु की एक प्राचीन प्रतिमा भी स्थापित है।

विष्णु की प्रतिमा के ठीक सामने वो हवन कुंड है जिसके बारे में कहा जाता है कि ये वही हवन कुंड है जिसकी आग में होलिका, प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर बैठी थी।

भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद आग में जलने से बच गए और कभी आग में ना जलने का वरदान प्राप्त होने वाली होलिका जल कर भस्म हो गई।

इस जगह के बारे में बताया जाता है कि उस घटना के बाद में यहीं से होली जलाने की रस्म शुरू हुई जो समय के साथ एक त्योहार के रूप में पूरे भारत में मनाई जाने लगी।

आज भी इस पूरे क्षेत्र में होली तभी जलाई जाती है जब पहले होली यहाँ जल जाती है। इस होली की लपटों को देखने के बाद ही दूसरी जगह पर होली जलाने की रस्म शुरू होती है।

होली के दिन इस जगह पर स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दूर के राज्यों से लोग आते हैं और सारी रात इस जगह पर आना जाना लगा रहता है।

होलिका दहन वाली इस जगह के पास ही कुछ गुफाएँ भी मौजूद हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि ये गुफाएँ काफी लम्बी और दूर दूर तक फैली हुई हैं।

बाहर से देखने पर इनकी चौड़ाई काफी कम है लेकिन बताया जाता है कि अंदर ये कई जगह इतनी चौड़ी हैं कि 50 लोग एक साथ बैठ सकते हैं।

हम सिर्फ गुफा के बाहर तक ही गए क्योंकि हमारे साथ जो स्थानीय लोग थे उन्होंने बताया कि अंदर जाना रिस्की हो सकता है क्योंकि अंदर कोई जंगली जानवर हो सकता है।

इस जगह से किले के दूसरे हिस्से तक जाने के लिए हमें किले के कुछ दरवाजे पार करने पड़े। जगह-जगह महल के अवशेष नजर आ रहे थे।

किले में अंदर इस हिस्से में भी चारों तरफ तराशे हुए पत्थरों के अवशेष दिखाई देते हैं। इतने पत्थरों को देखकर लगता है कि यह किला सचमुच बहुत विशाल और भव्य रहा होगा।

किले के इस हिस्से में परकोटे की काफी लम्बी और चौड़ी दीवार अभी भी सुरक्षित है। इस परकोटे की दीवार पर हम लगभग दो तीन सौ मीटर तक आगे गए। परकोटे के अंदर नीचे की तरफ महल के खंडहर नजर आ रहे थे।

यहाँ परकोटे की दीवार से चारों तरफ की प्राकृतिक सुंदरता नजर आ रही थी। इस स्थान पर यह जगह बड़ी पौराणिक और सतयुग काल की सी ही लगती है।

यहाँ से हम वापस लौट आये क्योंकि आगे का रास्ता थोड़ा मुश्किल और जोखिम भरा था।

हम आपको बस इतना ही कहना चाहेंगे कि अगर आपके अंदर थोड़ा एडवेंचर, थोड़ी आस्था और थोड़ा टूरिज्म के प्रति इंटरेस्ट हो तो आपको यहाँ जरूर जाना चाहिए।

हिरण्यकश्यप के महल तक कैसे जाएँ?, Hiranyakashyap Ke Mahal Tak Kaise Jayen?


हिरण्यकश्यप का यह महल उदयपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर जावर गाँव की पहाड़ियों पर बना हुआ है।

जावर गाँव पूरे भारत में जिंक की माइंस के लिए फेमस है, यहाँ पर जिंक की काफी सारी माइंस हैं।

यहाँ पर जाने के लिए उदयपुर अहमदाबाद रूट पर ट्रेन की भी शुरुआत हुई लेकिन अभी शुरुआती दौर है इसलिए ट्रेन से ना जाकर सड़क मार्ग से जाएँ तो ज्यादा अच्छा है।

उदयपुर से यहाँ तक जाने के लिए आपको उदयपुर अहमदाबाद हाईवे पर टीडी मोड़ से मुड़कर जावर गाँव जाना है। यहाँ पर मैन रोड पर नार्थ बरोई माइंस है।

इस नार्थ बरोई माइंस के बगल से एक पगडण्डीनुमा रास्ता बना हुआ है, आपको इसी रास्ते से पैदल ऊपर पहाड़ पर जाना है।

अगर आप पहाड़ी पर तीन चार किलोमीटर पैदल चलने के लिए तैयार हैं तभी आपको ऊपर जाना चाहिए।

नीचे सड़क से पहाड़ पर स्थित हनुमान जी के मंदिर का ध्वज दिखाई देता है। इस मंदिर से किले की शुरुआत होती है।

किले के रास्तों का पता सिर्फ यहाँ पर जाने वालों को ही है इसलिए अपने साथ किसी लोकल आदमी को गाइड के रूप में जरूर ले लें ताकि आप आसानी से किला देख पाएँ।

इस एरिया में जंगली जानवर भी रहते हैं इसलिए यहाँ पर शाम के समय जाने से बचना चाहिए।

हिरण्यकश्यप के किले के पास देखने की जगह, Hiranyakashyap Ke Kile Ke Pass Dekhne Ki Jagah


जावर कस्बा पहाड़ों के बीच में बसा हुआ एक ऐतिहासिक कस्बा है जिसमें कई मंदिर और प्राकृतिक सुंदरता भरी पड़ी हैं।

यहाँ पर जावर माता का मंदिर, इसके सामने ही बैधनाथ महादेव का मंदिर, जावर का किला, रामनाथ मंदिर और इसकी बावड़ी के साथ कई जैन मंदिर मौजूद हैं।

क्या हिरण्यकश्यप के महल के कोई ऐतिहासिक सबूत हैं?, Kya Hiranyakashyap Ke Mahal Ke Koi Historical Proof Hain?


वैसे से तो हिरण्यकश्यप को कई जगह से जोड़ा जाता है जैसे पाकिस्तान में मुल्तान, उत्तर प्रदेश में हरदोई, राजस्थान में हिंडौन आदि। अब इस कड़ी में जावर का नाम भी जुड़ गया है।

हिरण्यकश्यप के महल के बारे में ये दावे केवल किंवदंतियों और हजारों वर्षों से समाज में चली आ रही बातों से ही पता चलती है। ये महल कहाँ है इसके अभी ऐतिहासिक तथ्य किसी के पास नहीं है।

अगर आपके अंदर आस्था के साथ एडवेंचर करने का साहस है तो आपको यह जगह जरूर देखनी चाहिए।

हिरण्यकश्यप के महल की मैप लोकेशन, Hiranyakashyap Ke Mahal Ki Map Location



हिरण्यकश्यप के महल की फोटो, Hiranyakashyap Ke Mahal Ki Photos


Hiranyakashyap Ka Mahal Jawar

लेखक
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
GoJTR.com

GoJTR - Guide of Journey To Rajasthan provides information related to travel and tourism, arts and culture, religious, festivals, personalities, etc. It tells about the various travel destinations of Rajasthan and their historical and cultural importance. It discovers the hidden aspects of Indian historical background and heritages. These heritages are Forts, Castles, Fortresses, Cenotaphs or Chhatris, Kunds, Step Wells or Baoris, Tombs, Temples and different types of monuments, related to Indian historical glory.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने