यहाँ देवी के रूप में पूजी जाती है तोप - Top Mata Mandir Udaipur, इसमें उदयपुर में रेलवे स्टेशन के सामने स्थित तोप माता के मंदिर के बारे में जानकारी है।
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क्या आपने किसी तोप की देवी माता के रूप में पूजा होते देखी है? क्या आपने किसी तोप के लिए मंदिर बना हुआ देखा है? जहाँ तक हमें लगता है, आपने ऐसा नहीं देखा है।
आज हम आपको बताएँगे कि ऐसा कहाँ पर होता है। दरअसल उदयपुर शहर के अन्दर एक ऐसी जगह है जहाँ पर तोप को देवी माता का रूप मानकर पूजा की जाती है।
ये जगह है उदयपुर शहर में रेलवे स्टेशन के सामने एक बुर्ज के ऊपर मंदिर की तरह बनी हुई छतरी है। इस बुर्ज को तोपमाता बुर्ज के नाम से जाना जाता है।
तोप की नियमित पूजा अर्चना होने की वजह से अब इसे तोपमाता मंदिर के नाम से जाना जाने लगा है।
यहाँ पर जाने के लिए आपको रेलवे स्टेशन के सामने बने हुए परकोटे के अन्दर जाना होगा। अन्दर जाने की लिए परकोटे की मोटी दीवार में एक रास्ता बना हुआ है जिसमें पैदल या बाइक से जाया जा सकता है।
अन्दर जाते ही लेफ्ट साइड में बुर्ज के ऊपर मंदिर की तरफ जाने का दरवाजा बना हुआ है। मुख्य दरवाजा बंद रहता है इसलिए बगल में सीढ़ियों युक्त छोटा दरवाजा बना हुआ है।
मंदिर सामान्यतया शाम के वक़्त ही खुलता है लेकिन अगर कोई दिन में भी जाना चाहे तो मंदिर के पुजारी रवी के घर से चाबी ले सकता है।
पुजारी का घर दरवाजे की राईट साइड में पास में ही है। परकोटे से बुर्ज की तरफ जाने पर बुर्ज के ऊपर छतरी बनी हुई दिखाई देती है।
मंदिर जैसी इस छतरी को लगभग 40 वर्ष पहले नगर निगम ने बनवाया था। नगर निगम द्वारा छतरी बनवाने से पहले यह स्थान काफी जीर्ण शीर्ण अवस्था में था।
इस छतरी के चारों तरफ चार मजबूत स्तम्भ बने हुए हैं। ऐसा बताया जाता है कि प्राचीन समय में यह तोप इन स्तंभों पर टिकी हुई थी और इसे जरूरत के मुताबिक चारों तरफ घुमाया जा सकता था।
बुर्ज से परकोटे के सहारे एक रास्ता सूरजपोल की तरफ तो दूसरा रास्ता माछला मगरा की तरफ जा रहा है। अब जगह-जगह लोगों के रहने की वजह से ये रास्ता छोटा और समाप्त सा हो गया है।
वर्तमान में छतरी के नीचे एक 30 फीट लम्बाई की तोप रखी हुई है। इस तोप को तीन सौ वर्षों से भी अधिक प्राचीन बताया जाता है।
इस तोप की नियमित रूप से पूजा अर्चना और आरती होती है। शक्तिरुपी तोप को चुनरी ओढ़ाई हुई है और इसके पास में त्रिशूल लगा हुआ है। छतरी और नीचे चारों तरफ चढ़े हुए नारियल बंधे हुए हैं।
इस तोप की सबसे बड़ी खासियत तो इसकी पूजा होना है, इसकी दूसरी बड़ी खासियत यह है कि ये तोप बीच में से आधी कटी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि किसी समय इस कटे हुए भाग में से रक्त बहा करता था।
पुजारी रवी के अनुसार इस जगह पर कई बार नाग नागिन का जोड़ा भी दिखाई दिया है जिस वजह से बहुत से लोग यहाँ आने से डरते है, लेकिन इस जोड़े की वजह से आज तक किसी का कोई नुकसान नहीं हुआ है।
नवरात्रों के समय इस स्थान पर काफी भीड़ रहती है। श्रद्धालु यहाँ पर सिंदूर चढ़ा कर अखंड दीपक के साथ पूजन करते हैं।
तोप का इतिहास, Top Ka Itihas
1735 ईस्वी में उदयपुर शहर की रक्षा के लिए कुछ तोपों को शहरकोट पर रखा गया।
इन तोपों में सबसे बड़ी तोप का नाम दुश्मन भंजक था जो माछला मगरा पर स्थापित की गई थी। इस तोप से गोला दागने पर वह 15 किलोमीटर दूर देबारी के दरवाजे तक मार करता था।
इसके साथ रेलवे स्टेशन के सामने शहरकोट पर जगत शोभा या लोड़ची तोप रखी गई जिसकी अब तोप माता के रूप में पूजा होती है। हाथी पोल पर जय अम्बा तोप और सूरजपोल पर मस्त बाण तोप रखी गई थी।
ऐसा बताया जाता है कि 1769 ईस्वी में जब मराठा शासक महादराव शिंदे ने उदयपुर पर आक्रमण किया था तब इस जगत शोभा (तोप माता) और दुश्मन भंजक तोप के कारण उदयपुर की रक्षा हुई थी।
बाद में जगत शोभा तोप को यहाँ से हटा दिया गया था जिसे मेवाड़ के प्रधानमंत्री ठाकुर अमर सिंह बड़वा ने वापस यहाँ रखवाया।
अगर आप इस अनूठे स्थान को देखना चाहते हैं तो आप उदयपुर की ऐतिहासिक तोपमाता बुर्ज के ऊपर स्थित तोपमाता के मंदिर में जाएँ।
तोपमाता मंदिर उदयपुर की मैप लोकेशन, Top Mata Mandir Udaipur Ki Map Location
तोपमाता मंदिर उदयपुर की फोटो, Top Mata Mandir Udaipur Ki Photos
लेखक
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}