पहाड़ी पर आज भी खड़ा है सलेदीपुरा का किला - Saledipura Ka Kila

पहाड़ी पर आज भी खड़ा है सलेदीपुरा का किला - Saledipura Ka Kila, इसमें खंडेला के पास सलेदीपुरा के किले के बारे में जानकारी दी गई है।


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महाभारत कालीन खंडेला रियासत धार्मिक एवं ऐतिहासिक विरासतों से भरी पड़ी है। आज हम इस रियासत के सलेदीपुरा ग्राम में स्थित ऐतिहासिक गढ़ की यात्रा करते हैं। इस गढ़ को सलेदीपुरा फोर्ट या सलेदीपुरा के किले के नाम से भी जाना जाता है।

खंडेला से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर उदयपुरवाटी मार्ग पर स्थित सलेदीपुरा ग्राम चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र की पहाड़ियों में इस फोर्ट के अतिरिक्त कई अन्य दर्शनीय स्थल भी मौजूद हैं।

इन दर्शनीय स्थलों में ग्यारहवीं सदी का ओमल सोमल देवी दुर्गा मंदिर, दो छतरियों वाला शिव मंदिर, गोयल गौत्र की कुल देवी सब्बती माता का मंदिर, पानी का बन्धा (बाँध) एवं बारादरी के साथ-साथ बंद हो चुकी पाइराइट्स की खान भी शामिल है।

सलेदीपुरा ग्राम में स्थित एक पहाड़ी पर यह फोर्ट स्थित है। इस फोर्ट तक जाने के लिए आधे रास्ते तक सड़क बनी हुई है और शेष आधा रास्ता पथरीला है जिसकी चढ़ाई पैदल ही तय करनी पड़ती है।

आधे रास्ते पर जहाँ सड़क समाप्त होती है वहाँ पर समतल मैदान सा है। यहाँ पर एक सुन्दर भैरव मंदिर बना हुआ है। पैदल रास्ता पथरीला होने के साथ-साथ फिसलन भरा है। इस रास्ते से चढ़ाई पूरी करने के बाद फोर्ट नजर आता है।

फोर्ट के निकट जीर्ण शीर्ण अवस्था में इसकी प्राचीर भी नजर आती है। फोर्ट का मूल द्वार कंटीली झाड़ियों से बंद किया हुआ है लेकिन बगल की तरफ एक अन्य द्वार खुला हुआ है।


इस द्वार को देखकर ऐसा लगता है कि यह द्वार कुछ वर्षों पूर्व फोर्ट की दीवार को तोड़कर निकाला गया है। अगर हम मुख्य द्वार से अन्दर जाएँ तो घुमावदार गलियारे को पार करने पर मुख्य दरवाजा आता है।

मुख्य दरवाजे की सुरक्षा हेतु लकड़ी का बड़ा सा बेलन लगा हुआ है। इस बेलन को मजबूती प्रदान करने के लिए इस पर जगह-जगह लोहा लगाया गया है।

अन्दर प्रवेश करने पर चौक आता है जिसके चारों तरफ निर्माण है। प्रवेश करते ही बाईं तरह एक मंजिला महलनुमा हॉल मौजूद है जिसके साथ अन्य कई कक्ष भी बने हुए हैं। एक तरफ पुराने समय के शौचालय भी बने हुए हैं।

इसके ठीक सामने की तरफ दो मंजिला भव्य महल मौजूद है। यह दो मंजिला महल काफी सुन्दर है। ऐसा लगता है कि इस किले का शासक इस जगह पर या तो अपना दरबार लगाता होगा या फिर यह जगह किसी महफिल के काम में आती होगी।

ऊपरी मंजिल में अन्दर की तरफ झाँकते हुए कई झरोखे बने हुए हैं। इन झरोखों के जरिये महल की सभी कार्यवाहियों में भाग लिया जा सकता है।

संभवतः इन झरोखों के माध्यम से किले की मालकिन के साथ-साथ अन्य महिलाएँ दरबार के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में शामिल हुआ करती होगी।

महल के ऊपरी भाग में एक भव्य गलियारा मौजूद है। इस गलियारे की आंतरिक एवं बाहरी दीवारों में कई झरोखे बने हुए हैं।

आंतरिक दीवारों के झरोखों से महल के अन्दर की कार्यवाही देखी जा सकती है जबकि बाहरी दीवारों के झरोखों से पहाड़ियों के बीच स्थित प्राकृतिक सुन्दरता को निहारा जा सकता है।

इस गलियारे में से बहकर अन्दर आने वाली ठंडी-ठंडी प्राकृतिक हवा प्राण वायु जैसी महसूस होती है। यह हवा गर्मी के मौसम में भी शीतलता का अहसास कराती है।

महल के सबसे ऊपरी भाग में जाने पर सलेदीपुरा ग्राम का विहंगम दृश्य नजर आता है। यहाँ से प्रसिद्ध ओमल सोमल मंदिर को भी देखा जा सकता है।

अगर आप ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से जानने में रुचि रखते हैं तो आपको एक बार इस फोर्ट को जरूर देखना चाहिए।

सलेदीपुरा के किले की मैप लोकेशन, Saledipura Fort Ki Map Location



सलेदीपुरा के किले की फोटो, Saledipura Fort Ki Photos


Saledipura Ka Kila

लेखक
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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