इस महल में लिखा गया था सत्यार्थ प्रकाश - Navlakha Mahal Udaipur, इसमें उदयपुर के गुलाब बाग में स्थित नवलखा महल के बारे में जानकारी दी गई है।
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विश्व प्रसिद्ध उदयपुर शहर के प्रमुख पर्यटक स्थल गुलाब बाग़ के अन्दर बना हुआ है नवलखा महल।
इस महल को गुलाब बाग का ह्रदय स्थल भी कहा जा सकता है क्योंकि जिस प्रकार हमारा हार्ट हमारे शरीर में ब्लड को सर्कुलेट करता है, ठीक उसी प्रकार यह महल भी भारतीय जनमानस के दिलों दिमाग में हमारे प्राचीन संस्कार, संस्कृति और वैदिक ज्ञान का संचार करता है।
ये वही महल है जिसमें आर्य समाज के संस्थापक यानी फाउंडर स्वामी दयानंद सरस्वती ने वर्ष 1882 में लगभग साढ़े छः महीनों तक रहकर विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश की रचना की थी।
अगर इस महल के निर्माण की बात करें तो उन्नीसवीं शताब्दी में इसका निर्माण महाराणा सज्जन सिंह ने करवाया था। उस समय यह महल महाराणा सज्जन सिंह के अतिथिगृह यानी गेस्ट हाउस के रूप में काम में आता था।
वर्ष 1992 में गवर्नमेंट ने इस महल को आर्य समाज को एक मोनुमेंट के रूप में विकसित करने के लिए दिया, तब से इसको सुन्दर और आकर्षक बनाने के साथ-साथ सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने कि कोशिश की जा रही है।
इसी कोशिश का ही नतीजा है कि आज यह महल एक नए रूप में बदल रहा है ताकि नई पीढ़ी यानी यूथ को भारतीय संस्कार और परम्पराओं का ज्ञान हो सके।
महल के दर्शनीय स्थलों में सबसे प्रमुख वैदिक संस्कार वीथिका, आर्यावर्त चित्र दीर्घा, थ्री डी थियेटर आदि प्रमुख है।
महल मैं गेट से प्रवेश करने पर दाँई तरफ वैदिक बुक शॉप है जहाँ से आप वैदिक साहित्य के साथ-साथ अन्य कई प्रकार की बुक्स खरीद सकते हैं।
मुख्य महल में एंट्री के लिए आपको यही से नाम मात्र के शुल्क का टिकट खरीदना होता है। विशेष बात यह है कि महल के इन सभी दर्शनीय स्थलों के बारे में बताने के लिए निशुल्क गाइड भी उपलब्ध करवाया जाता है।
मुख्य महल डोम शेप में बना हुआ है जिसमें प्रवेश करते ही एक बड़े हॉल में सामने ऊँचाई पर स्वामी दयानंद की बैठी हुई मुद्रा में प्रतिमा दिखाई देती है।
हॉल में नीचे चारों तरफ प्राचीन भारतीय जीवन के आधारभूत सिद्धांतों को मॉडल द्वारा दर्शाया गया है। ये सिद्धांत मनुष्य को अपने जीवन को जीने के तरीके के बारे में बताते हैं जिन्हें 16 संस्कार कहा जाता है।
हॉल के बगल से आर्यावर्त चित्र दीर्घा में प्रवेश करने पर अंग्रेजी के सी शेप में बड़ा गलियारा है जिसमें प्राचीन भारत के ऋषि मुनियों, ग्रंथों, क्रांतिकारियों के साथ-साथ स्वामी दयानंद के जीवन को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है।
यहाँ से आगे जाने पर सत्यार्थ प्रकाश कक्ष आता है। यह स्थान स्वामी दयानंद सरस्वती के लेखन कक्ष के रूप में काम में आता था और इसी कक्ष में स्वामीजी ने अपने विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश को लिखा था।
अब इस कक्ष में एक 14-कोण और 14-कहानी वाला सत्यार्थ प्रकाश स्तम्भ या टॉवर स्थापित कर दिया गया है जिसका हर कोण अपने आप में एक अध्याय है।
इसके आगे गलियारे के अंतिम भाग में एक घूमने वाले कांच में सत्यार्थ प्रकाश के 24 भाषाओं में अनुवादित ग्रन्थ दर्शाए गए हैं।
नवलखा महल में ही एक हाईटेक थ्री डी थियेटर तैयार किया गया है जिसमें विजिटर्स को भारतीय संस्कृति से सम्बंधित ज्ञानोपयोगी लघु फिल्में दिखाई जाएँगी।
आखिर में कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि जिस स्थान पर स्वामी दयानंद सरस्वती जैसी विभूति ने सत्यार्थ प्रकाश जैसे ग्रन्थ को रचकर वैदिक ज्ञानरूपी ज्योति को जलाया उस स्थान पर आने का मतलब ही उस ज्ञान को ग्रहण करना है।
अतः सभी भारतीयों को अपने जीवन में कम से कम एक बार नवलखा महल का भ्रमण करके वैदिक ज्ञान के प्रसार में अपना अप्रत्यक्ष योगदान यानी इनडायरेक्ट कॉन्ट्रिब्यूशन जरूर देना चाहिए।
नवलखा महल की मैप लोकेशन, Navlakha Mahal Ki Map Location
नवलखा महल की फोटो, Navlakha Mahal Ki Photos
लेखक
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}