झील के बीच जलदेवी माता का मंदिर - Jaldevi Mata Mandir Sansera Railmagra

झील के बीच जलदेवी माता का मंदिर - Jaldevi Mata Mandir Sansera Railmagra, इसमें झील के बीच में स्थित जलदेवी माता के मंदिर के बारे में जानकारी दी गई है।


{tocify} $title={Table of Contents}

मेवाड़ की धरा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जन्म और कर्म भूमि होने के साथ-साथ पग-पग पर प्राकृतिक सौन्दर्य की वजह से सम्पूर्ण विश्व में जानी और पहचानी जाती है।

यहाँ की भूमि में वीरों के रक्त के साथ-साथ धार्मिक और ऐतिहासिक त्रिवेणी का वह संगम है जिसे महसूस करने मात्र से ही मन में गौरव की अनुभूति होती है।

आज हम आपको एक ऐसी ही गौरवशाली जगह पर लेकर चलते हैं जिसका धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व भी है। यह स्थान है राजसमन्द जिले का जलदेवी मंदिर जिसका सीधा सम्बन्ध महाराणा प्रताप से भी बताया जाता है।

मुगल काल में बादशाह अकबर के आने के कारण इस स्थान को बादशाह मगरी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी किवदंती है कि इस स्थान पर बादशाह अकबर का पड़ाव लगा था और यहीं से अकबर ने महाराणा प्रताप को ललकारा था।

अकबर की ललकार के जवाब में महाराणा प्रताप यहाँ पहुँचे। रात का समय हो जाने के कारण अकबर सो गया था। महाराणा ने जलदेवी माता का आशीर्वाद प्राप्त कर अकबर पर हमला ना करके सोते हुए अकबर की मूँछ काटकर उसकी ललकार का जवाब दिया।

यह स्थान राजसमन्द जिले में दरीबा के निकट सांसेरा गाँव में एक तालाब के अन्दर स्थित है। यहाँ से रेलमगरा कस्बे की दूरी लगभग 15 किलोमीटर एवं फतेहनगर की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है।

मंदिर में जाने के लिए किनारे पर एक बड़ा दरवाजा बना हुआ है। इस दरवाजे के निकट ही एक छतरी बनी हुई है। यहाँ की छतरियों को मुगलकालीन माना जाता है।

दरवाजे से प्रवेश करने के बाद एक पैदल पुल के जरिये मंदिर तक पहुँचा जाता है। पुल के आगे माता का दो मंजिला मंदिर बना हुआ है। मंदिर छतरीनुमा बना हुआ है जिसमें ऊपरी मंजिल पूरी तरह से छतरी के रूप में नजर आती है।


माता की मूल प्रतिमा पहली मंजिल में ही है। जब अच्छी बारिश होती है तो यह तालाब पूरी तरह से भर जाता है और मंदिर की पहली मंजिल पानी में डूब जाती है।

अमूमन वर्ष भर पानी के अन्दर डूबे होने के कारण माता की मूल प्रतिमा के दर्शन नहीं हो पाते हैं इस वजह से मंदिर की दूसरी मंजिल पर माता का स्वरूप बना हुआ है। सभी श्रद्धालु माता के इसी स्वरूप की ही पूजा करते हैं।

कहते हैं कि जो भी सच्चे मन से यहाँ आता है उसकी मुराद अवश्य पूर्ण होती है। यहाँ पर बच्चों के कुछ संस्कार संपन्न होने के साथ-साथ उनको माता का आशीर्वाद लेने के लिए लाया जाता है।

बड़ी मात्रा में नारियल का प्रसाद चढ़ाया जाता है जिसे सभी श्रद्धालुओं में बाँट दिया जाता है। यहाँ पर यज्ञ और धार्मिक क्रियाओं के लिए एक हवन कुंड भी मौजूद है।

पानी के मध्य में स्थित होने के कारण यहाँ से इस स्थान का प्राकृतिक सौन्दर्य भी नजर आता है। बारिश के मौसम में यहाँ पर साक्षात जलदेवी माता की उपस्थिति का अहसास होता है।

तालाब के पानी में बड़ी-बड़ी मछलियाँ मौजूद है। इतने बड़े आकार की मछलियाँ अमूमन देखने को नहीं मिलती है। बताया जाता है कि ये मछलियाँ पूरे वर्ष भर इस तालाब में मौजूद रहती है।

मछलियों का सम्बन्ध जलदेवी माता के साथ माना जाता है इसलिए यहाँ पर मछलियों को संरक्षित रखा जाता है।

महांराणा प्रताप का इस स्थान से सम्बन्ध रहने के कारण तालाब के एक किनारे पर वर्ष 2018 में इनकी प्रतिमा स्थापित की गई थी। यह प्रतिमा काफी भव्य है और इस जगह के महत्व में चार चाँद लगा देती है।

मंदिर की देखरेख श्री जलदेवी माता विकास समिति द्वारा की जाती है जिसका कार्यालय मंदिर के सामने ही बना हुआ है।

अगर आप धार्मिक जगहों के साथ-साथ प्राकृतिक और ऐतिहासिक स्थानों के भ्रमण में रुचि रखते हो तो आपको इस स्थान पर अवश्य आना चाहिए।

जलदेवी माता मंदिर की मैप लोकेशन, Jaldevi Mata Mandir Ki Map Location



जलदेवी माता मंदिर की फोटो, Jaldevi Mata Mandir Ki Photos


Jaldevi Mata Mandir Sansera Railmagra

लेखक
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
GoJTR.com

GoJTR - Guide of Journey To Rajasthan provides information related to travel and tourism, arts and culture, religious, festivals, personalities, etc. It tells about the various travel destinations of Rajasthan and their historical and cultural importance. It discovers the hidden aspects of Indian historical background and heritages. These heritages are Forts, Castles, Fortresses, Cenotaphs or Chhatris, Kunds, Step Wells or Baoris, Tombs, Temples and different types of monuments, related to Indian historical glory.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने