चाँद बावड़ी के पास 1000 वर्ष पुराना मंदिर - Harshat Mata Mandir Abhaneri

चाँद बावड़ी के पास 1000 वर्ष पुराना मंदिर - Harshat Mata Mandir Abhaneri, इसमें चाँद बावड़ी के पास हर्षत माता के 1000 वर्ष पुराने मंदिर की जानकारी दी है।


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दौसा जिले का आभानेरी कस्बा अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासतों की वजह से विश्व में अनूठा स्थान रखता है।

यह कस्बा जहाँ विश्व प्रसिद्ध धरोहर चाँद बावड़ी की वजह से ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है वहीँ दूसरी तरफ हर्षत माता के मंदिर की वजह से स्थापत्य एवं कला के साथ-साथ धार्मिक स्थल के रूप में भी विख्यात है।

हर्षत माता का मंदिर और चाँद बावड़ी दोनों ही राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक हैं जिनकी देख रेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) विभाग के अंतर्गत होती है।

हर्षत माता का मंदिर चाँद बावड़ी के समीप ही है। इन दोनों का निर्माण निकुम्भ वंशीय राजा चाँद ने आठवीं या नवीं शताब्दी में करवाया था।

हर्षत माता को हर्ष और उल्लास की देवी के रूप में जाना जाता है जिनकी कृपा आभानगरी पर हमेशा से ही रही है।

माता के आशीर्वाद से राजा चाँद के शासन काल में इस नगरी की आभा दूर-दूर तक फैली हुई थी तथा राजा और प्रजा में पिता-पुत्रवत सम्बन्ध थे।

आभानगरी की बावड़ी और हर्षत माता के मदिर को देखकर कहा जा सकता है कि राजा चाँद को स्थापत्य कला से अत्यंत लगाव रहा होगा।

ऐसा लगता है कि इनके काल में यह मंदिर भारत वर्ष के अन्य कलात्मक मंदिरों में अपना स्थान अवश्य रखता होगा।

कई लोग राजा चाँद का सम्बन्ध राजा भोज से भी जोड़ते हैं परन्तु अभी तक इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है।

महामेरू शैली का यह पूर्वाभिमुख मंदिर दोहरी जगती पर स्थित है। मंदिर योजना में पंचरथ गर्भगृह प्रदक्षिणापथ युक्त है जिसके अग्रभाग में स्तंभों पर आधारित मंडप है।

गर्भगृह एवं मण्डप गुम्बदाकार छत युक्त हैं, जिसकी बाहरी दीवार पर भद्र ताखों में हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ उत्कीर्ण हैं।


इस मंदिर की सबसे विशेष बात यह है कि ऊपरी जगती के चारों ओर ताखों में रखी सुंदर मूर्तियाँ जीवन के धार्मिक और लौकिक दृश्यों को दर्शाती हैं।

कहते हैं कि इस मंदिर को महमूद गजनवी के समय मुस्लिम आक्रान्ताओं ने खंडित कर नष्ट कर दिया था। इस बात की गवाही, मंदिर परिसर में जगह-जगह बिखरे खंडित मूर्तियाँ, स्तम्भ आदि देते हैं।

कई मूर्तियाँ तो इतनी अधिक सजीव प्रतीत होती हैं कि जैसे अभी बोल पड़ेंगी। स्तंभों पर की हुई बारीक नक्काशी इंसानी नहीं दैविक कार्य प्रतीत होती हैं। वर्तमान में यह मंदिर अपने इन खंडित अवशेषों को अपने आगोश में समेटकर खड़ा हुआ है।

मंदिर के बाहर एक शिव मंदिर बना हुआ है। मंदिर के बाहरी मंडप को स्तंभों पर टिकाया हुआ है। इन स्तंभों पर भी बारीक कलाकृतियाँ उकेरी हुई हैं। गर्भगृह में हर्षत माता की मूर्ति सभी दर्शनार्थियों को आशीर्वाद देती प्रतीत होती है।

स्थानीय निवासियों के अनुसार हर्षत माता की मूल प्रतिमा नीलम से बनी हुई बेशकीमती प्रतिमा थी जो कि अत्यंत भव्य और कलात्मक थी।

इस मूर्ति के चोरी हो जाने की वजह से बाद में दूसरी मूर्ति स्थापित की गई। वर्तमान में भक्तों को इसी मूर्ति के दर्शन होते हैं।

स्थानीय निवासियों के अनुसार पहले इस मंदिर में हर्षत माता की प्रतिमा के साथ-साथ अन्य बहुत सी बेशकीमती मूर्तियाँ हुआ करती थी। देखरेख के अभाव में धीरे-धीरे तस्करों ने इन सभी मूर्तियों को चुराकर इन्हें देश और विदेश में बेच दिया।

अगर आप भारत की ऐतिहासिक, कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को करीब से देखना चाहते हैं तो आपको एक बार आभानेरी जरूर जाना चाहिए।

हर्षत माता मंदिर की मैप लोकेशन, Harshat Mata Mandir Ki Map Location



हर्षत माता मंदिर की फोटो, Harshat Mata Mandir Ki Photos


Harshat Mata Mandir Abhaneri

लेखक
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
GoJTR.com

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