हल्दीघाटी में घूमने की सबसे मुख्य 7 जगह - Haldighati Me Ghumne Ki Jagah

हल्दीघाटी में घूमने की सबसे मुख्य 7 जगह - Haldighati Me Ghumne Ki Jagah, इसमें हल्दीघाटी के मुख्य पर्यटक स्थल यानी घूमने की जगहों की जानकारी दी गई है।


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भारत के इतिहास में महाराणा प्रताप का नाम अपनी स्वाधीनता और आत्म सम्मान के लिए दर्ज है। इस आत्म सम्मान को बनाये रखने के लिए 18 जून 1576 को हल्दीघाटी की जमीन पर महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच युद्ध हुआ।

यह युद्ध भारतीय इतिहास में अपना एक अहम स्थान रखता है। जब भी कोई उदयपुर की यात्रा पर जाता है तो वह हल्दीघाटी की भूमि को नमन करने जरूर जाता है।

आज हम आपको बताते हैं कि अगर हल्दीघाटी जाओ तो आपको वहाँ पर क्या-क्या देखना है यानि हल्दीघाटी में देखने योग्य कौन कौन से टूरिस्ट प्लेसेज हैं।

जैसा कि आप जानते हैं कि हल्दीघाटी एरिया वो जगह है जहाँ महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच युद्ध हुआ था इसलिए इस जगह पर देखने योग्य जगहों में युद्ध स्थल और इससे जुड़े स्मारक ही मुख्य है। ये सभी स्थल लगभग छः किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं।

युद्ध से सम्बंधित इन देखने योग्य टूरिस्ट प्लेसेस में रक्त तलाई, बादशाही बाग, हल्दीघाटी का मूल दर्रा, महाराणा प्रताप गुफा, चेतक समाधि, चेतक नाला, महाराणा प्रताप स्मारक शामिल है। इन सभी जगहों पर कोई टिकट नहीं लगता है यानी फ्री है।

कुछ वर्षों पहले महाराणा प्रताप म्यूजियम भी बनाया गया है जो कि एक प्राइवेट म्यूजियम है। इसमें एंट्री के लिए टिकट लगता है।

हल्दीघाटी नाम सुनकर हमारे दिमाग में सबसे पहला प्रश्न यह आता है कि इस जगह को हल्दीघाटी क्यों कहा जाता है? क्या इस जगह का हल्दी से कोई सम्बन्ध है?

दरअसल हल्दीघाटी के पूरे क्षेत्र में चट्टानों और घाटियों में पाई जाने वाली मिट्टी का रंग हल्दी की तरह पीला है, जिस वजह से इसे हल्दीघाटी के नाम से जाना जाता है।

हल्दीघाटी की लोकेशन, Location of Haldighati near Khamnore


अगर हल्दीघाटी की लोकेशन के बारे में बात की जाये तो यह जगह राजसमन्द जिले में खमनौर कस्बे के पास में स्थित पाँच छः किलोमीटर में फैली हुई वह भूमि है जिस पर महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच युद्ध हुआ था।

अगर आप उदयपुर से हल्दीघाटी आते हैं तो कुल दूरी लगभग 45 किलोमीटर है और अगर आप नाथद्वारा से हल्दीघाटी आते हैं तो कुल दूरी लगभग 17 किलोमीटर है।

अगर आप उदयपुर से हल्दीघाटी आ रहे हैं तो आपको सबसे पहले चेतक समाधि, चेतक नाला, महाराणा प्रताप स्मारक, इसके बाद महाराणा प्रताप गुफा, फिर हल्दीघाटी का मूल दर्रा, उसके बाद बादशाही बाग़ और आखिर में खमनौर कस्बे के अन्दर रक्त तलाई को देखना चाहिए।

चेतक स्मारक या चेतक समाधि, Chetak Smarak or Chetak Samadhi


जब आप उदयपुर से हल्दीघाटी की तरफ आते हैं तो सबसे पहले बलिचा नामक जगह पर महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की समाधि आती है। यह समाधि मैंन रोड पर लेफ्ट साइड में बनी हुई है।

चेतक समाधि वह जगह है जहाँ पर महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की मौत के बाद उसकी अंत्येष्टि हुई थी। यह एक स्मारक है जो चेतक की याद में बनाया गया था।

इस स्मारक के बगल में भोलेनाथ शिव का लगभग छः सौ वर्ष पुराना मंदिर बना हुआ है। आप यहाँ भोलेनाथ के दर्शन कर सकते हैं।


महाराणा प्रताप स्मारक और चेतक नाला, Maharana Pratap Smarak Aur Chetak Naala


चेतक समाधि के सामने पहाड़ी पर महाराणा प्रताप स्मारक बना हुआ है। इस स्मारक पर जाते समय रास्ते में लेफ्ट साइड में चेतक नाला है।

यह 22 फीट चौड़ा वह नाला है जिसे चेतक ने महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठा कर एक जम्प में क्रॉस कर लिया था।

यहाँ से पहाड़ी के ऊपर महाराणा प्रताप स्मारक है जहाँ पर चेतक पर बैठे महाराणा प्रताप की बड़ी प्रतिमा बनी हुई है। पहाड़ी से दूर दूर तक घाटियाँ ही घाटियाँ दिखाई देती है।


महाराणा प्रताप म्यूजियम, Maharana Pratap Museum


नीचे उतरते समय अगर आप चाहे तो प्रताप म्यूजियम देख सकते हैं। इसमें महाराणा प्रताप के जीवन और हल्दीघाटी के युद्ध से सम्बंधित घटनाओं को दर्शाया हुआ है।

महाराणा प्रताप की गुफा, Maharana Pratap Gufa (Cave)


चेतक समाधि से जब रोड पर आगे जाते हैं तो राईट साइड में महाराणा प्रताप गुफा स्थित है। इस गुफा में महाराणा प्रताप अपने सहयोगियों के साथ बैठकर रणनीति तैयार करते हैं।


हल्दीघाटी का वास्तविक दर्रा, Haldighati Real Darra (Pass)


प्रताप गुफा से आगे एक मोड़ पर लेफ्ट साइड में हल्दीघाटी का दर्रा शुरू होता है। इस जगह पर शिलालेख लगा हुआ है और साथ में एक बोर्ड भी लगा हुआ है।

ज्यादातर टूरिस्ट इस जगह को इग्नोर करके आगे चले जाते हैं जबकि हल्दीघाटी का ओरिजिनल दर्रा  यही से शुरू होता है। दर्रे में प्रवेश के लिए पीछे की तरफ एक गेट बना हुआ है। दर्रे की कुल लम्बाई लगभग डेढ़ दो किलोमीटर है।

आप दर्रे को कुछ अन्दर जाकर देख सकते हैं लेकिन अगर आप ग्रुप में नहीं है तो हमारी सलाह है कि आपको इस दर्रे में ज्यादा अन्दर नहीं जाना चाहिए क्योंकि ये एक जंगली एरिया है और यहाँ पर जंगली जानवर हो सकते हैं।


हल्दीघाटी में फोटोग्राफी पॉइंट, Haldighati Me Photography Point


यहाँ से आगे जाने पर घाटी को काटकर सड़क बनी हुई है। ज्यादातर लोग इस जगह को हल्दीघाटी का दर्रा समझ लेते हैं जबकि असली दर्रा तो पीछे रह जाता है।

आप यहाँ पर रुक कर हल्दीघाटी की मिट्टी को देख सकते हैं। यहाँ पर मिट्टी का रंग हल्दी की तरह एक दम पीला दिखाई देगा।

आप यह समझ लो कि हल्दीघाटी क्षेत्र में मिट्टी का रंग सभी जगह पीला ही है। अगर आप ओरिजिनल दर्रे में आगे जाओगे तो वहाँ पर आपको दोनों तरफ पीली मिट्टी दिख जाएगी।

बादशाही बाग या शाही बगीचा, Badshahi Bag or Shahi Garden


घाटी से नीचे उतरकर आगे जाने पर लगभग डेढ़ किलोमीटर आगे राईट साइड में बादशाही बाग़ बना हुआ है। यह वह जगह है जहाँ पर हल्दीघाटी के युद्ध के समय बादशाह अकबर की सेना ने अपना पड़ाव डाला था।

रक्त तलाई या रक्त ताल, Rakt Talai or Rakt Taal


बादशाही बाग़ से लगभग ढाई किलोमीटर आगे खमनौर कस्बे के अन्दर रक्त तलाई नामक जगह है। यह वह जगह है जहाँ पर महाराणा प्रताप और अकबर की सेना युद्ध करते-करते आ गई थी।

युद्ध में इतना खून बहा था कि इस रक्त तलाई में खून का तालाब बन गया था। इस खून के तालाब की वजह से ही इस जगह का नाम रक्त तलाई पड़ा। उस तालाब वाली जगह पर अब पक्का तालाब बना दिया गया है।

रक्त तलाई में झाला मान सिंह और राम शाह तंवर की अपने तीन पुत्रों के साथ छतरियाँ बनी हुई है। इसके साथ अन्दर हाकिम खान सूर की मजार बनी हुई है। इन सभी लोगों ने महाराणा प्रताप की तरफ से युद्ध करके अपने प्राणों का बलिदान दिया था।


तो अब आप समझ गए होंगे कि हल्दीघाटी में देखने के लिए ये प्रमुख स्थान है।

हल्दीघाटी में इन स्थलों के साथ-साथ यहाँ का गुलाब जल भी काफी प्रसिद्ध है। यह गुलाब जल चैत्री गुलाबों से बनता है जिनकी कई दुकानें बादशाही बाग़ के सामने स्थित है।

हल्दीघाटी के चैत्री गुलाब जल का वीडियो, Haldighati Chaitri Gulab Jal Ka Video



अगर आप हल्दीघाटी जा रहे हैं तो हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई इन्फार्मेशन आपके लिए हेल्पफुल होगी।

हल्दीघाटी की मैप लोकेशन, Haldighati Ki Map Location



हल्दीघाटी में घूमने की जगह का वीडियो, Haldighati Me Ghumne Ki Jagah Ka Video


Haldighati Me Ghumne Ki Jagah

लेखक
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
GoJTR.com

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