इस जगह पर हुई थी महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की मृत्यु - Chetak Samadhi Smarak Haldighati

इस जगह पर हुई थी महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की मृत्यु - Chetak Samadhi Smarak Haldighati, इसमें महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की समाधि की जानकारी है।


{tocify} $title={Table of Contents}

आपने राजा महाराजाओं, साधू महात्माओं की कई समाधियाँ बनी हुई जरूर देखी होगी लेकिन क्या आपने कभी किसी जानवर की समाधि बनी हुई देखी है?

जब हम इस समाधि पर जाते हैं और हमें उस जानवर की मृत्यु के कारण का पता चलता है तो हमारा मन उसके प्रति श्रद्धा से भर जाता है।

आप सोच रहे होंगे कि ये कौनसा जानवर है?, लेकिन अगर आपको बताया जाये कि इस जानवर का सम्बन्ध महाराणा प्रताप से है तो आप तुरंत पहचान जायेंगे कि हम महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में बात कर रहे हैं।

जी हाँ, ये वही चेतक है जिसने एक पाँव से घायल होने के बावजूद हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठाकर 20 फीट के नाले को एक छलांग में पार कर के महाराणा प्रताप को सेफ जगह पर पहुँचाया।

महाराणा को नाले के दूसरी तरफ सुरक्षित पहुँचाने के बाद इसने एक इमली के पेड़ के पास अपने प्राण त्याग दिए। इस इमली के पेड़ को खोड़ी इमली के नाम से जाना जाता है।

बाद में महाराणा प्रताप ने खुद अपनी निगरानी में महादेव के मंदिर के बगल में चेतक की समाधि को बनवाया।

वर्तमान में यह समाधि, हल्दीघाटी की युद्ध भूमि से लगभग एक-डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर बलीचा नाम की जगह पर बनी हुई है। इसे चेतक समाधि के साथ-साथ चेतक स्मारक या चेतक चबूतरा के नाम से भी जाना जाता है।

प्रवेश द्वार से प्रवेश करते ही सामने की तरफ एक ऊँचे चबूतरे पर यह समाधि बनी हुई है। समाधि एक छतरी के रूप में बनी हुई है।

छतरी के अन्दर स्मारक पत्थर पर चारों ओर चार प्रतिमाएँ बनी हुई है जिनमें महाराणा प्रताप को पूजा करते हुए और चेतक की सवारी करते हुए दिखाया गया है।

समाधि स्थल के बगल में नीचे की तरफ महाराणा प्रताप के समय का शिव मंदिर बना हुआ है। महाराणा प्रताप इस शिव मंदिर में पूजा अर्चना करके भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया करते थे।


यह शिव मंदिर आज भी अपने स्थान पर उसी तरह अडिग खड़ा है जिस तरह से ये महाराणा प्रताप के टाइम पर था। मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार भी हुआ है इस वजह से इसकी प्राचीनता का अंदाजा नहीं लग पाता।

मंदिर के बाहर नंदी की प्रतिमा को देखकर मंदिर के लगभग पाँच सौ वर्ष पुराने होने का अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है।

चेतक समाधि के पास में देखने के लिए चेतक नाला और महाराणा प्रताप राष्ट्रीय स्मारक है। समाधि के सामने पहाड़ी पर महाराणा प्रताप राष्ट्रीय स्मारक बना हुआ है।

महाराणा प्रताप स्मारक पर बाइक या कार से जाया जा सकता है। पहाड़ी पर ऊपर चढ़ते समय रास्ते में लेफ्ट साइड में चेतक नाले का रास्ता है। यह 22 फीट चौड़ा वही नाला है जिसे चेतक ने एक जम्प में क्रॉस किया था।

ऊपर पहाड़ी पर महाराणा प्रताप राष्ट्रीय स्मारक पर चेतक पर बैठे हुए महाराणा प्रताप की बड़ी प्रतिमा बनी हुई है। महाराणा प्रताप की ज्यादातर प्रतिमाएँ चेतक के ऊपर बैठे हुए की ही मिलती है।

महाराणा प्रताप का मरते दम तक साथ देकर इतिहास में चेतक ऐसा अमर हुआ, कि आज जब भी कहीं महाराणा प्रताप का नाम आता है तो उनके साथ चेतक का नाम जरूर आता है।

इस स्मारक का लोकार्पण वर्ष 2009 में हुआ था। इस जगह से चारों तरफ दूर-दूर तक सुन्दर दृश्य दिखाई देता है। चारों तरफ जंगल ही जंगल दिखाई देता है।

अगर आप हल्दीघाटी जा रहे हैं तो आपको चेतक और महाराणा प्रताप के इन स्मारकों पर जरूर जाना चाहिए।

चेतक स्मारक की मैप लोकेशन, Chetak Smarak Ki Map Location



चेतक स्मारक की फोटो, Chetak Smarak Gufa Ki Photos


Chetak Samadhi Smarak Haldighati

लेखक
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
GoJTR.com

GoJTR - Guide of Journey To Rajasthan provides information related to travel and tourism, arts and culture, religious, festivals, personalities, etc. It tells about the various travel destinations of Rajasthan and their historical and cultural importance. It discovers the hidden aspects of Indian historical background and heritages. These heritages are Forts, Castles, Fortresses, Cenotaphs or Chhatris, Kunds, Step Wells or Baoris, Tombs, Temples and different types of monuments, related to Indian historical glory.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने