इनके आदेश से चलाई जाती थी तोप - Top Wale Baba Ki Dargah Udaipur, इसमें उदयपुर में करनी माता मंदिर के पास हजरत गुलाम रसूल की दरगाह के बारे में बताया है।
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उदयपुर में पिछोला झील के पास माछला मगरा की पहाड़ी पर एकलिंग गढ़ के कोने पर एक मजार बनी हुई है जिसे तोप वाले बाबा की मजार या दरगाह के नाम से जाना जाता है।
इस दरगाह में हजरत गुलाम रसूल साहब रहमतुल्लाह अलैह की मजार बनी हुई है जिन्हें तोप वाले बाबा या मलंग सरकार के नाम से अधिक जाना जाता है।
इस दरगाह की ख़ास बात यह है कि ये दरगाह करणी माता के प्रसिद्ध मंदिर के बगल में बनी हुई है जो कि हिन्दू मुस्लिम सौहार्द का जीता जागता सबूत है।
जो श्रद्धालु करणी माता के मंदिर में दर्शनों के लिए जाते हैं उनमें से बहुत से श्रद्धालु इस दरगाह में जाकर बाबा का आशीर्वाद लेकर आते हैं।
आपको ध्यान होना चाहिए कि दरगाह वो एक मात्र धार्मिक स्थल है जहाँ पर हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों को मानने वाले लोग एक साथ सर झुकाते नजर आते हैं।
दरगाह तक जाने के लिए वो ही दो रास्ते हैं जिन रास्तों से करणी माता के लिए जाया जाता है यानि एक पैदल रास्ता और दूसरा रोपवे का रास्ता। मंदिर के बगल से रास्ता दरगाह की तरफ जाता है।
इस दरगाह को लगभग 400 वर्षों से भी अधिक प्राचीन माना जाता है।
दरगाह का सम्बन्ध कुछ चमत्कारों से भी बताया जाता है जिसमें सबसे बड़ा चमत्कार यह है कि आज भी इस दरगाह से जलती हुई ज्योत, तोप माता बुर्ज पर रखी तोप तक जाती है, और फिर वापस लौटती है।
ऐसा माना जाता है कि तोप वाले बाबा आज भी इस स्थान पर विराजते हैं और यहाँ पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।
यहाँ के प्रमुख आयोजन में उर्स का कार्यक्रम प्रमुख है जिसमें महफिल-ए-मिलाद और कव्वाली के कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस मौके पर काफी लोग इकट्ठा होते हैं।
दरगाह से स्टेशन के सामने तोप माता के मंदिर के साथ-साथ सफ़ेद रंग में रंगा पूरा उदयपुर शहर नजर आता है। रात के समय यह नजारा काफी सुन्दर हो जाता है।
तोप वाले बाबा की कहानी, Top Wale Baba Ki Kahani
ऐसा बताया जाता है कि तोप वाले बाबा, उदयपुर को बसाने वाले महाराणा उदय सिंह की सेना में थे। इनका प्रमुख काम युद्ध के दौरान दुश्मन सेना पर तोप से आक्रमण करना था।
बताया जाता है कि इन्हीं के हुक्म से तोप चलाई जाती थी। महाराणा उदय सिंह के समय यहाँ पर एक बड़ी तोप रखी हुई थी।
माछला मगरा पर दुश्मन भंजक तोप का इतिहास, Machhla Magra Par Dushman Bhanjak Top Ka Itihas
प्राप्त जानकारी के अनुसार 1735 ईस्वी में उदयपुर शहर की रक्षा के लिए कुछ तोपों को शहरकोट पर रखा गया।
इन तोपों में सबसे बड़ी तोप का नाम दुश्मन भंजक था जो माछला मगरा पर स्थापित की गई थी। इस तोप से गोला दागने पर वह 15 किलोमीटर दूर देबारी के दरवाजे तक मार करता था।
इसके साथ रेल्वे स्टेशन के सामने शहरकोट पर जगत शोभा या लोड़ची तोप रखी गई जिसकी अब तोप माता के रूप में पूजा होती है। हाथी पोल पर जय अम्बा तोप और सूरजपोल पर मस्त बाण तोप रखी गई थी।
ऐसा बताया जाता है कि 1769 ईस्वी में जब मराठा शासक महादराव शिंदे ने उदयपुर पर आक्रमण किया था तब इस जगत शोभा (तोप माता) और दुश्मन भंजक तोप के कारण उदयपुर की रक्षा हुई थी।
अगर आपको प्राकृतिक दृश्यों के साथ-साथ धार्मिक स्थलों का भ्रमण अच्छा लगता है तो जब भी करणी माता के दर्शनों के लिए जाएँ, तो पास ही तोप वाले बाबा की दरगाह पर जा सकते हैं।
तोप वाले बाबा की दरगाह की मैप लोकेशन, Top Wale Baba Ki Dargah Ki Map Location
तोप वाले बाबा की दरगाह की फोटो, Top Wale Baba Ki Dargah Ki Photos
लेखक
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}